32 C
Mumbai
Friday, November 1, 2024
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk ख़्वाहिशें और हासिल, बारहा दूर ही चलते हैं एक दूसरे से, लेकिन अपने हिस्से, अगर ख़ुशी रखनी हो आख़िरकार, तो क्या फ़र्क़, कहाँ से गुज़रे, क्या मलाल कहाँ पे ठहरे। तफ़सील से करनी हो बात, या मुख़्तसर रखनी हो मुलाक़ात, कुछ लोग अपना असर...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk नादुरुस्त, कुछ भी नहीं रहता ज़िंदगी में, या तो वक़्त ठीक कर देता है सब या बुन देता है ऐसा वहम, कि जिसमें पड़ के, सब ठीक लगने लगता है। वहम भी उम्रदराज़ नहीं होते, सो टूटते, बनते, ज़िंदगी को ख़ुशी और ग़म के...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk रहा करते हैं इसी कहकशां में सारे किरदार और उनकी ख़ूबियां, और जब रूह किसी जिस्म को पा कर, नमूदार होती है ज़मीं पर तो एक शख़्सियत सबको नज़र आती है, वो दुआएं जो लेकर आता है शख़्स, उसका असर दिखता है बस। यही...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk जो ज़िक़्र का सबब नहीं बनते, जो कई बार आते हैं, गुफ़्तगू करते हैं, रुकते हैं बिना कहे और बिना पूछे चले जाते हैं, सबसे ज़्यादा वही चेहरे याद आते हैं। अक्सर हम चुनते हैं कि हमें ज़िंदगी में क्या करना है, लेकिन कई...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk बहुत मुश्किल होता है बरक़रार रखना तबस्सुम, अगर ज़िंदगी, पेश न आ रही हो अदब से, जब मुलायम न गुज़र रही हों शामें और शजर भी न दिखता हो नज़दीक कड़ी धूप में, दो कदम चलना भी सहल न रह जाता है। या तो...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk हर शख़्स बुलबुला है, इस फ़ानी दुनिया में, हस्ती बस बनने और ग़ायब होने के बीच के वक़्फ़े में है। इन्हीं थोड़े से लम्हात में कुछ कर गुज़रना होता है। कुछ शख़्स ये जानते हैं और असर पैदा कर के रुख़सत होते हैं यहां...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk कुछ शक्लें, समंदर होती हैं और कुछ आंखें, तारीख़ की किताब, इनके ख़ामोश रह लेने भर से, कई क़िस्से आबाद होते हैं और इनकी आवाज़, आशना होने का सबूत होते हैं। ये कई अलग अलग रूप में, हमारे सामने से गुज़रते हैं और हर...
एंटरटेनमेंट डेस्क । navpravah.com निर्देशक अयान मुखर्जी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ब्रह्मास्त्र को लेकर जबरदस्त माहौल बना हुआ है। इस बीच ये चर्चा होने लगी थी कि कोरोना की वजह से शायद फिल्म की रिलीज़ डेट को भी आगे बढ़ाया जाए। लेकिन अब ये खबर आ रही है कि फिल्म का...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Editorial Desk द्वितीय विश्व युद्ध का पूरी दुनिया पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और जीवन के हर आयाम ने परिवर्तन का अनुभव किया। कलात्मक अभिव्यक्तियों में भी नई प्रवृत्तियां दिखीं और चूंकि सिनेमा भी ऐसी ही अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम के रूप में उभर रहा...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk हिन्दी सिनेमा के हर दौर में,  बेहतरीन नायकों के साथ शानदार खलनायकों को भी अपना परचम लहराते देखा गया है| प्राण, प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, अमजद ख़ान और भी कई नाम हैं, जिन्हें कोई भी दर्शक हमेशा याद करेगा| इनकी अदाकारी में इतना दम...