आचार्य प्रदीप द्विवेदी | नवप्रवाह डॉट कॉम
दशकों बाद 21 जून यानि रविवार के दिन ऐसा संयोग बन रहा है, जब एक साथ छह ग्रह सूर्य ग्रहण पर वक्री होंगे। छह ग्रह की चाल उल्टी पड़ेगी, जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ेगा।
ग्रहों के इस योग को ज्योतिष के विद्वान शुभ नहीं मान रहे हैं। वर्तमान में देश जिस तरह की संक्रामक आपदा से जूझ रहा है, ऐसे में ग्रहों की चाल अच्छी नहीं मानी जा रही है। यह अवस्था आपदा बढ़ा सकती है। ज्योतिषीय आंकड़े की मानें, तो अगस्त माह में महामारी के बढ़ने के भी संकेत मिल रहे हैं। शनि के राशि परिवर्तन से ऐसी आशंका जताई जा रही है। सितंबर माह में केतु के राशि परिवर्तन और गुरु के साथ शनि के मार्गी होने से हालात सामान्य हो जाएंगे।
ज्योतिष के हिसाब से सितंबर के अंतिम सप्ताह से देश में हालात पूरी तरह से अनुकूल हो जाएंगे और लोग संक्रमण से मुक्ति पा जाएंगे। 21 जून को मिथुन राशि में लगने वाला सूर्य ग्रहण शुभ नहीं है, क्योंकि कई ग्रहों की चाल इस दौरान उल्टी रहेगी। सूर्य ग्रहण पर धार्मिक अनुष्ठान और पूजा जप से राहत मिल सकती है। संबंधित ग्रहों के मंत्रों का जाप संकट से मुक्ति दिलाएगा।
ग्रहण काल-
ग्रहण काल का समय 21 जून को स्पर्श 1013, मध्य 12.17 और मोक्ष 2.04 बजे दिन में है। सूर्य ग्रहण लगभग साढ़े तीन घंटे का होगा।
विद्वानों का मत है कि 3 सितंबर 2020 को केतु राशि परिवर्तन करेंगे, वह धनु से वृश्चिक राशि में जाएंगे, जिसके कारण इस महामारी के उपचार की भी प्रबल संभावना है। 15 सितंबर को स्थिति और भी सुधर जाएगी और 28 सितंबर तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में हो जाएगी।
विद्वानों का मत है कि मिथुन राशि पर लगने वाला सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील होगा। मंगल का जलीय राशि मीन में होना शुभ नहीं माना जाता है। सूर्य बुध, चंद्रमा और राहु पर मंगल की दृष्टि पड़ना अशुभ माना जाता है। चंद्र ग्रहण में 9 घंटे तथा सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पूर्व सूतक लग जाता है। इसमें देव प्रतिमाओं का दर्शन अशुभ माना जाता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि राहु और केतु दोनों ही अशुभ ग्रह हैं, जब ये सूर्य और चंद्रमा को ग्रास करते हैं, तब सूर्य और चंद्रमा को पीड़ा पहुंचती है।
यह ग्रहण राहुग्रस्त है। मिथुन राशि में राहु सूर्य-चंद्रमा को पीड़ित कर रहा है। मंगल जल तत्व की राशि मीन में है और मिथुन राशि के ग्रहों पर दृष्टि डाल रहा है। इस दिन बुध, गुरु, शुक्र और शनि वक्री रहेंगे। राहु और केतु हमेशा वक्री ही रहते हैं। इन 6 ग्रहों की स्थिति के कारण ये सूर्य ग्रहण और भी खास है।