मेधा सिंह | navpravah.com
नई दिल्ली | मन की बात के 115 वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड के बारे में बात की।उन्होंने बताया कि आजकल हर वर्ग के लोग इस फ्रॉड का शिकार बन रहे हैं। लोग अपने बचाए हुए लाखों रूपए गंवा दे रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट एक फ्रॉड है और इसे करने वाले लोग समाज के दुश्मन हैं। यह डिजिटल अरेस्ट को चलाने वाले गिरोह आरबीआई या नारकोटिक्स या किसी सरकारी जांच एजेंसी का नाम ले कर लोगों में डर बना कर उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं।
पीएम मोदी ने आगे बोला कि इस गिरोह में शामिल लोग जिसे कॉल करते हैं उसकी पूरी व्यक्तिगत जानकारी रखते हैं, वह लोगों में डर का माहौल बना देते हैं कानूनी धाराओं का प्रयोग करना, हड़काना इन सब कारणों से व्यक्ति डर जाता है और फिर वह समय का दबाव बनाते हैं जिससे सामने वाले व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक दबाव बन जाता है। उन्होंने कहा इससे बचने के लिए “रुको सोचो और एक्शन” लेने की आवश्यकता है। हड़बड़ी में काम करने से सब बिगड़ जाएगा ।
उन्होंने कहा कि “रुको” यानी शांत रहें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। मुनासिब हो तो रिकॉर्डिंग और स्क्रीनशॉट ले लेना चाहिए।
दूसरा “सोचो” यानी कोई भी जांच एजेंसी कॉल या वीडियो कॉल पर धमकी नहीं देती है और न ही पैसे की मांग करती है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम का प्रावधान हमारे संविधान में कहीं नहीं है। तीसरा “शांत रहो” यानी हेल्पलाइन नंबर 1930 या http://cybercrime.gov.in पर मामला रिपोर्ट करें ।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम के जरिए ठग लोगों की बैंक डिटेल्स निकाल लेते हैं उन्हें कानून का रौब दिखा कर उनसे ओटीपी ले लेते हैं और लोगों के पैसे ठग लेते हैं। 2023 में भारत में फिशिंग अटैक के 7.93 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस फ्रॉड के जाल में फंसे लोगों से गुजारिश की कि वह “safedigitalindia” हैशटैग का प्रयोग करके लोगों में जागरूकता फैला सकते हैं। उन्होंने स्कूल और कॉलेज से अनुरोध किया कि साइबर स्कैम के खिलाफ मुहिम में छात्रों को भी जोड़ा जाए।
डिजिटल अरेस्ट जैसे फ्रॉड से बचने के लिए सभी को सचेत रहने की आवश्यकता है। ऐसे स्कैम से लोगों को लाखों का नुकसान हो सकता है।