नृपेन्द्र कुमार मौर्य| navpravah.com
नई दिल्ली| जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हाल ही में आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग में एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। इस बैठक का उद्देश्य इंटरनल कमिटी (IC) के चुनावों और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले भी शामिल थे। हालांकि, इस बैठक के दौरान एक बार फिर से वामपंथी समर्थकों की तरफ से विवादास्पद गतिविधियों को देखा गया।
बैठक में लेफ्ट-समर्थित JNUSU के कुछ नेताओं ने महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा के बावजूद किसी भी महिला प्रतिनिधि को मंच देने से इनकार कर दिया। इस निर्णय पर छात्रों ने नाराजगी जताई और इसे महिला सशक्तिकरण के खिलाफ एक कदम बताया। साथ ही, जिन काउंसलर्स को छात्रों की आवाज़ उठाने के लिए चुना गया था, उन्हें भी अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया। इस संदर्भ में एक विशेष घटना ने सबका ध्यान आकर्षित किया, जब एक वामपंथी कार्यकर्ता ने भगवान श्रीराम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर दी। इस टिप्पणी से छात्रों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और उन्होंने इसका जमकर विरोध किया। छात्रों ने इस असंवेदनशील बयान के लिए माफी की मांग की, लेकिन JNUSU के वामपंथी नेताओं ने इस विरोध को नजरअंदाज किया और बीच में ही मीटिंग छोड़ दी। इसके बाद कुछ विरोध करने वाले छात्रों को धमकाने का भी प्रयास किया गया।
ABVP की JNU इकाई के अध्यक्ष राजेश्वरकांत दुबे ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह वामपंथियों की सोची-समझी साजिश है, जिसके माध्यम से भगवान श्रीराम का अपमान किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि हर जनरल बॉडी मीटिंग का उपयोग हिंदू भावनाओं को आहत करने के लिए किया जाता है। उनका कहना था कि JNU प्रशासन को इस तरह के अभद्र व्यवहार पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि विश्वविद्यालय की छवि को बचाया जा सके और एक स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण स्थापित किया जा सके।
ABVP JNU इकाई की मंत्री शिखा स्वराज ने भी इस घटना की आलोचना करते हुए कहा कि महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा के बावजूद किसी भी महिला प्रतिनिधि को मंच न देना वामपंथी नेताओं की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है। शिखा ने इसे एक सोची-समझी रणनीति बताया और कहा कि कुछ ही दिन पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दीपावली के अवसर पर छात्रों पर हमले की घटना सामने आई थी, जिसमें आपत्तिजनक नारे भी लगाए गए थे। उनका मानना है कि यह घटनाएं एक ही विचारधारा का हिस्सा हैं, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की मंशा से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि ABVP हमेशा भगवान श्रीराम के सम्मान की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा और किसी भी प्रकार के अपमान का सख्त जवाब देगा।
इस घटना ने JNU के छात्रों और समाज के अन्य वर्गों के बीच एक बहस को जन्म दिया है। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत मानते हैं, तो कुछ इसे धार्मिक असंवेदनशीलता के रूप में देखते हैं। यह घटना न केवल JNU के भीतर के विचारधारा संघर्ष को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे छात्रों के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं।