Sunday Special Interview : जो दिल को सुकून न दे, वो संगीत कैसा – Shree N

मनोरंजन डेस्क | नवप्रवाह डॉट कॉम 

संगीत हमेशा से ही भारतीय संस्कृति की परिचायक रही है। पौराणिक से वर्तमान युग तक संगीत विभिन्न वाद्ययंत्रो के साथ जुड़ कर सदा ही मिट्टी की खुशबू बिखेरती रही है। वक्त के साथ संगीत पॉप, जैज, रॉक और न जाने कितने माध्यमों से अपने रुप बदलकर श्रोताओं के मनोरंजन करने में जुट गई पर वह ठहराव वो मधुरता दिला पाने में बिल्कुल सार्थक नहीं हुई जिसमें संगीत की धुन दिल में सीधा बस जाती हैं, जहां हिन्दुस्तानी मिट्टी की पहचान भीड़ को चीरती हुई सीधा  कानों में कभी शास्त्रीय तो कभी सूफी सी लगती है।

इन्हीं सब बातों पर गौर फरमाते हुए मिट्टी की खुशबू को सहेजने और श्रोताओं के कानों से उनके दिल में उतर जाने का प्रयास किया है युवा गायक श्री एन. ने। अपने नये एल्बम दिल-ए-जार में इस एल्बम के माध्यम से उन्होंने प्रेम की वास्तविक कहानियों के साथ-साथ अबूझ प्रसंगों को जीवंत करने का प्रयास किया है। मिलन – जुदाई जैसे मीठे नमकीन किस्सों को खुशी गम के हिस्से को अद्भुत काव्य मंजूषा में पिरो कर मनोरम एकांत तक ले जाने की कोशिश की है।

इस एल्बम में शब्दों की माला को गूंथा है जानेमाने गीतकार समीर कबीर ने एवं गानों की शुटिंग हुई हैं पुष्कर और अजमेर में। अगर बात करें युवा गायक श्री एन की तो, श्री मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा के रहने वाले हैं। प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा इनकी वहीं हुई हैं एवं संगीत में विशेष रुचि होने के कारण पिछले कई वर्षों से यह गाजियाबाद में संगीत की शिक्षा गुरु हरीश डाकले जी से ले रहे हैं। संगीत क्षेत्र में वह अपना आदर्श दिवंगत गायक के.के, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी एवं सोनू निगम को मानते हैं। साथ ही इनसे काफी प्रभावित भी हैं।

सोनू निगम के साथ काम करने वाले सवाल पर उन्होंने कहा भी कि वह दिन मेरे लिए काफ़ी खुशनुमा होगा, जिस दिन मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिलेगा। सूफी और शास्त्रीय संगीत में काफी लगाव है लेकिन सभी क्षेत्रों के संगीत का सम्मान करते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री, साउथ फिल्म इंडस्ट्री या भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का अवसर मिलेगा तो किसे चुनेंगे, तो उन्होंने कहा कि हम तो मां सरस्वती के उपासक हैं, बस भेद सिर्फ भाषा की है। जहां काम करने का अवसर मिलेगा, वहां कोशिश रहेगी कि अपना शत प्रतिशत दूं। भोजपुरी इंडस्ट्री से भी बैर नहीं है, काफी मधुर भाषा है। उत्तर भारत से मैं आता भी हूं तों भोजपुरी से स्नेह थोड़ा गहरा अवश्य है, पर बाकी भाषाओं के लिए भी उतना ही प्रेम और सम्मान है। बकौल श्री, उन्होंने इस एल्बम में भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं को सहेज कर एकत्रित किया है एवं एक आम आदमी की कहानी को उनके एहसासों को सबके सामने प्रस्तुत करने की कोशिश की है। यह एल्बम इस महीने में रीलीज़ होने वाली है। 

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