डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
कितनी ही बार सितारे टूटते हैं और बिना किसी आवाज़ के, रोशनी की एक बारीक़ लकीर सी खींचते हुए, ग़ायब हो जाते हैं| वक़्त, आहिस्ता आहिस्ता, वो सुनहरी लकीर भी मिटा देता है और भुला दिए जाते हैं वो सितारे, जिनकी चमक से पूरा...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
कुछ क़िस्से बड़े दिलचस्प होते हैं, उनमे से कोई एक किरदार, लड़ता है, गिरता है, उठता है और फिर जीतता है| उस किरदार को जीतता हुआ देखना, बड़ा सुकून भरा होता है, लेकिन क़िस्सागो कितना भी बढ़िया क्यों न हो, उस किरदार के मन...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
महफ़िल में ज़िक़्र हो न हो, न हो चाहे हिस्सा, किसी मरासिम का, उनका नाम, बात जब भी छिड़ती है रोशनी की, शमा की तरह याद आते हैं कुछ शख़्स| जब मुख़ातिब होते हैं ये हाज़िरीन-ए-महफ़िल से, सब परवाने, इनके पास ही ठहरते हैं...
सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
अभिनेता ऋषि कपूर अब हमारे बीच नहीं हैं। 30 अप्रैल को ऋषि कपूर ने अचानक दुनिया को अलविदा कह दिया, उनके जाने से उनके परिवार सहित फिल्म जगत के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके जाने से कपूर परिवार में मातम छाया हुआ है,...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
सलाहियत और ज़हानत, ऐसी नेअमत हैं, जो किसी किसी को मिलती हैं| कभी कभी कोई इसमें अपनी कोशिशों से इज़ाफ़ा कर लेता है, तो कोई नाज़ कर बैठता है और नाकाम रह जाता है उसका इल्म| कुछ शख़्स ऐसे होते हैं जिन्हें क़ुदरत ने...
डॉ०चितरंजन कुमार | Navpravah Desk
न जाने किसने उन्हें इतना प्यारा नाम दिया था 'ऋषि'। आगे चल कर इस 'ऋषि' ने ही लाखों युवाओं को प्रेम के मंत्र और 'प्रेमरोग' दिए। निःसंदेह ऋषि कपूर एक योग्य पिता की योग्य संतान थे। वे सच में मुँह में चांदी का चम्मच लेकर...
अमित द्विवेदी | Editorial Desk
एक कहावत है, “दूर के ढोल सुहावने होते हैं।” हम औरों की तो जी भर के तारीफ करते हैं, लेकिन जब बात अपनों के क़द्र की आती है, तब अक्सर हम उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ऐसे अनेकों भारतीय हैं, जिन्हें विदेशों में ख़ूब प्यार-सम्मान...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
कुछ लोग और कुछ चीज़े, इतनी सहल होती हैं कि लगातार हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बनी रहती हैं| जब तक ये हमारे साथ, हर रोज़ होते हैं, न इनके खो जाने का डर होता है, न इनके होने की कोई ख़ास ख़ुशी| ये लोग,...
डॉ. प्रवीण कुमार अंशुमान | Navpravah Desk
इरफ़ान खान के लिए अभी कल ही एक कविता समर्पित की थी, 'इरफ़ान, तुम चोट सदा पहुँचाओगे', जिसमें एक पद इस प्रकार था -
जाकर तुमने इस धरती से
सबको याद दिलाई है
मौत यहीं बस खड़ी हुई
देखो, अब किसकी बारी आई है।
और देखो, तब तक...
डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
नादीदा थी वो दुनिया उनके लिए, नामालूम था फ़रीक़ेसानी उस जहाँ में कौन होगा और ऐसे अनजान जगह पर, बिना बताए चले जाना, परेशान न कर देगा? वो ख़ूबरू चेहरा, वो ख़़सूसियत, कयोंकर न चाहेगा कोई क़रीब होना? लेकिन आसमानों के उस तरफ़? ऐसी...