महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कल, जानिये क्या है समीकरण ?

नृपेंद्र कुमार मौर्य| navpravah.com

नई दिल्ली | महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 2024 का चुनाव कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद हो रहा है। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में टूट, नए राजनीतिक गठजोड़ और बदलते समीकरणों ने इसे और दिलचस्प बना दिया है। इस चुनाव में कुल 4136 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 158 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हैं। इनमें 6 प्रमुख पार्टियां दो गठबंधनों में बंटी हुई हैं।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और नए गठबंधन

भाजपा की अगुआई में शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी ने ‘महायुति’ के तहत गठबंधन किया है। दूसरी ओर, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी), और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ‘महाविकास अघाड़ी’ का हिस्सा हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव (2019) में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 105 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना के खाते में 56 सीटें आई थीं। वहीं, कांग्रेस ने 44 और एनसीपी ने 54 सीटें हासिल की थीं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन आसानी से सत्ता में आ सकता था, लेकिन शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा से मतभेदों के कारण अलग राह चुनी।

इस अलगाव के बाद, शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई, और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। लेकिन यह गठबंधन भी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाया। करीब ढाई साल बाद शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत हुई, जिससे पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। इसके बाद एनसीपी में भी टूट हुई, और अजित पवार ने शरद पवार से अलग होकर भाजपा के साथ हाथ मिला लिया।

2024 का चुनाव: मुद्दे और चुनौतियां

इन राजनीतिक उठापठकों के बाद महाराष्ट्र में चुनावी माहौल पूरी तरह बदल चुका है। इस बार भाजपा-शिंदे गुट-अजित पवार गठबंधन और कांग्रेस-उद्धव-शरद पवार गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है।

हालांकि, लोकसभा चुनाव के नतीजों में शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टियों को बढ़त मिली थी, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन कितना प्रभावी साबित होगा।

आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की संख्या

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट ने इस चुनाव की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 2201 प्रत्याशियों के हलफनामों की जांच से पता चला कि 629 उम्मीदवार आपराधिक छवि के हैं, जो कुल प्रत्याशियों का करीब 29% है। इनमें से 412 पर हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे गंभीर आरोप हैं।

यह आंकड़े केवल चिंताजनक ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक चुनौती भी हैं। इस स्थिति में, मतदाताओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपने प्रतिनिधियों को चुनते समय उनके आपराधिक रिकॉर्ड पर गौर करें।

महिलाओं की कम भागीदारी

महाराष्ट्र जैसे बड़े और प्रगतिशील राज्य में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी निराशाजनक है। कुल 2201 उम्मीदवारों में से केवल 204 महिलाएं चुनाव मैदान में हैं, जो महज 9% है।

इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि महिलाओं को राजनीति में अभी भी समान अवसर नहीं मिल रहे हैं। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है, जब यह देखा जाता है कि महिलाओं से जुड़े अपराधों के आरोपियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा रही है।

उम्मीदवारों की संपत्ति और आर्थिक स्थिति

ADR की रिपोर्ट के अनुसार, इस चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कुल 829 यानी 38% उम्मीदवार करोड़पति हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 32% थी। इनकी औसत संपत्ति 9.11 करोड़ रुपये है।

भाजपा उम्मीदवारों की औसत संपत्ति सबसे ज्यादा, करीब 54 करोड़ रुपये है। 26 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति शून्य बताई है, जो अक्सर पारदर्शिता की कमी और संपत्ति छुपाने के संकेत देते हैं।

यह आंकड़े बताते हैं कि चुनाव लड़ना अब आर्थिक रूप से मजबूत व्यक्तियों के लिए एक बड़ी प्राथमिकता बन गया है, जिससे आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवारों की संख्या घटती जा रही है।

शैक्षिक पृष्ठभूमि

प्रत्याशियों की शैक्षिक योग्यता पर नजर डालें तो 47% उम्मीदवारों ने अपनी शिक्षा 5वीं से 12वीं तक बताई है। 74 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं, जबकि 58 ने खुद को साक्षर और 10 ने असाक्षर बताया है।

यह जानकारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि शैक्षिक योग्यता चुनाव जीतने के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है, लेकिन यह प्रतिनिधियों की नीति-निर्माण की क्षमता को जरूर प्रभावित कर सकती है।

चुनाव में उम्र और युवा भागीदारी

31% उम्मीदवार (686) ने अपनी उम्र 25 से 40 साल के बीच बताई है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, 61 से 80 साल के बीच के उम्मीदवारों की संख्या भी कम नहीं है, जो 14% (317) है। 2 उम्मीदवार 80 साल से अधिक उम्र के हैं।

यह आंकड़े बताते हैं कि चुनाव में युवा और अनुभवी दोनों प्रकार के प्रतिनिधियों का संतुलन है, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व में युवा भागीदारी को और बढ़ावा देने की जरूरत है।

मतदाता की भूमिका और जिम्मेदारी

इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक है। मतदाताओं के पास सत्ता और विकास की दिशा तय करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि प्रत्याशियों की आपराधिक पृष्ठभूमि, महिलाओं की कम भागीदारी, और करोड़पति उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या जैसे मुद्दे लोकतंत्र के लिए चुनौतीपूर्ण हैं।

मतदाताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे न केवल जाति, धर्म, और क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान दें, बल्कि प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि, योग्यता और उनके काम पर भी विचार करें।

महाराष्ट्र का यह चुनाव केवल राजनीतिक दलों की ताकत का परीक्षण नहीं है, बल्कि यह राज्य के नागरिकों के राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण का भी प्रतिबिंब होगा।

एक ओर जहां गठबंधन और टूट-फूट ने राजनीतिक स्थिति को जटिल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर आपराधिक छवि और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।

मतदाताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे ऐसे प्रतिनिधि चुनें जो राज्य के विकास, सामाजिक सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कर सकें। हर वोट की अहमियत है, क्योंकि यही वोट महाराष्ट्र के भविष्य की दिशा तय करेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.