नृपेंद्र कुमार मौर्य। navpravah.com
नई दिल्ली | आजकल, डॉक्टर्स मरीजों की बीमारियों और समस्याओं का सही तरीके से पता लगाने के लिए कई प्रकार की इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करते हैं। इनमें सीटी स्कैन (CT Scan), एमआरआई (MRI), और एक्स-रे (X-Ray) प्रमुख हैं। ये तीनों तकनीकें शरीर के अंदर की तस्वीरें (इमेजेज) लेती हैं, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली और उपयोग में फर्क है। इस लेख में हम इन तीनों तकनीकों को सरल तरीके से समझेंगे।
1. एक्स-रे (X-Ray)
एक्स-रे एक पुरानी और बहुत सामान्य तकनीक है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से हड्डियों और कुछ खास समस्याओं को देखने के लिए किया जाता है। एक्स-रे में विकिरण (radiation) का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर के अंदर से होकर फिल्म या डिजिटल सेंसर तक पहुंचता है और हमें शरीर के अंदर की तस्वीरें दिखाता है।
कैसे काम करता है:
जब एक्स-रे की किरण शरीर के अंदर से गुजरती है, तो यह हड्डियों और सॉफ़्ट टिशूज़ (जैसे मांसपेशियां) से अलग तरीके से टकराती है। हड्डियां ज्यादा विकिरण अवशोषित करती हैं, जिससे वे सफेद दिखाई देती हैं, और मांसपेशियां और अन्य सॉफ़्ट टिशूज़ काले दिखाई देते हैं।
कहाँ उपयोग होता है:
– हड्डियों के फ्रैक्चर, चोट या ट्यूमर की पहचान में।
– फेफड़ों की बीमारियाँ जैसे निमोनिया या टीबी के लिए।
– दांतों की समस्याओं में।
सीमाएँ:
एक्स-रे सिर्फ हड्डियों और कुछ सॉफ़्ट टिशूज़ को दिखा सकता है, और यह काफी सीमित जानकारी देता है।
2. सीटी स्कैन (CT Scan)
सीटी स्कैन (Computed Tomography), एक्स-रे की उन्नत तकनीक है। इसमें एक साथ कई एक्स-रे तस्वीरें ली जाती हैं और कंप्यूटर से मिलाकर एक 3D इमेज बनाई जाती है। यह शरीर के अंदर की बहुत स्पष्ट और विस्तृत जानकारी देता है।
कैसे काम करता है:
सीटी स्कैन में एक एक्स-रे मशीन शरीर के चारों ओर घूमती है और विभिन्न कोणों से तस्वीरें लेती है। फिर कंप्यूटर इन तस्वीरों को जोड़कर एक सटीक और विस्तृत क्रॉस-सेक्शनल (कट) इमेज तैयार करता है।
कहाँ उपयोग होता है:
– शरीर के आंतरिक अंगों (जैसे मस्तिष्क, हृदय, लिवर) की जांच में।
– ट्यूमर, रक्तस्राव और आंतरिक चोटों का पता लगाने में।
– गंभीर दुर्घटनाओं के बाद तेजी से निदान में।
सीमाएँ:
सीटी स्कैन में विकिरण की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर अगर बहुत बार किया जाए।
3. एमआरआई (MRI)
एमआरआई (Magnetic Resonance Imaging) एक ऐसी तकनीक है, जो बिना किसी विकिरण के शरीर के अंदर की तस्वीरें लेती है। इसमें मजबूत चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग होता है। यह मुख्य रूप से सॉफ़्ट टिशूज़ (जैसे मांसपेशियां, तंत्रिका तंत्र) की जांच के लिए बहुत उपयोगी है।
कैसे काम करता है:
एमआरआई में चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल करके शरीर के अणुओं को आकर्षित किया जाता है और फिर रेडियो तरंगों की मदद से उनकी प्रतिक्रिया को पकड़ा जाता है। इससे हमें शरीर के सॉफ़्ट टिशूज़ की बहुत स्पष्ट तस्वीरें मिलती हैं।
कहाँ उपयोग होता है:
– मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, जोड़ों, और दिल की समस्याओं की जांच में।
– सॉफ़्ट टिशूज़, रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं की समस्याओं को पहचानने में।
– ट्यूमर, सूजन या आंतरिक चोटों की पहचान में।
सीमाएँ:
यह प्रक्रिया थोड़ी महंगी हो सकती है और इसमें समय ज्यादा लगता है (लगभग 30-60 मिनट)। इसके अलावा, मशीन के अंदर रहने के लिए थोड़ा असहज भी हो सकता है, क्योंकि यह एक संकरी जगह होती है।
एक्स-रे, सीटी स्कैन, और एमआरआई तीनों ही इमेजिंग तकनीकें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका उपयोग अलग-अलग समस्याओं के लिए किया जाता है।
– एक्स-रे- हड्डियों और कुछ सॉफ़्ट टिशूज़ की समस्याओं के लिए उपयुक्त है।
– सीटी स्कैन – शरीर के आंतरिक अंगों और जटिल समस्याओं की जांच के लिए बेहतरीन है।
– एमआरआई – सॉफ़्ट टिशूज़, तंत्रिकाओं और दिल की समस्याओं की पहचान के लिए सबसे अच्छा है।
डॉक्टर इन तकनीकों का चयन मरीज की स्थिति और बीमारी के आधार पर करते हैं। इन तकनीकों की मदद से जल्दी और सही निदान संभव हो पाता है, जो इलाज में मदद करता है।