डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
कितनी ही बार सितारे टूटते हैं और बिना किसी आवाज़ के, रोशनी की एक बारीक़ लकीर सी खींचते हुए, ग़ायब हो जाते हैं| वक़्त, आहिस्ता आहिस्ता, वो सुनहरी लकीर भी मिटा देता है और भुला दिए जाते हैं वो सितारे, जिनकी चमक से पूरा फ़लक़ जगमगाता था| ख़ैरियत भी नहीं पता चलती उनकी कभी, न ख़ुद ही आते हैं वो जताने अपनी नाराज़गी, न होने शुक्रगुज़ार| ऐसा ही एक सितारा, हमारा भी खोया, नाम था काजल किरन|
काजल का जन्म, 1958 में, मुंबई में, एक मराठी परिवार में हुआ| इनका असली नाम सुनीता कुलकर्णी रखा गया| ये एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुई थीं और डॉक्टर बनना चाहती थीं| ये अभी स्कूल में ही थीं कि इन्हें, नासिर हुसैन की फ़िल्म, “हम किसी से कम नहीं” में काम करने का मौक़ा मिला और इनके साथ थे, शानदार और ख़ूबसूरत ऋषि कपूर| ये बात है 1977 की| फ़िल्म बहुत कामयाब हुई और इनपर फ़िल्माया हुआ गाना, “क्या हुआ, तेरा वादा”, आज भी सब की यादों में ताज़ा है|
काजल की कोई फ़िल्मी पृष्ठभूमि नहीं थी और ना ही उनका कोई संरक्षक था| नासिर हुसैन ने इनसे कहा था कि जब तक उनकी फ़िल्म रिलीज़ नहीं होती, काजल कोई और फ़िल्म न करें| काजल बहुत छोटी उम्र की थीं, फ़िल्म के बाद भी ये कह न पाईं कि अब वे नई फ़िल्में कर सकती हैं, और न ही किसी और ने इन्हें बताया, क्योंकि बहुत से शायरों और पुरानी नायिकाओं की बेटियों को भी सफल बनना था| इस कॉन्ट्रैक्ट की ग़लतफ़हमी की वजह से “बालिका वधु” और “अंखियों के झरोखों से”, जैसी फ़िल्में, इनसे छूट गईं|
“इसके बाद भी काजल को फ़िल्में मिलती रहीं| “सत्ते पे सत्ता”, “आंधी तूफ़ान”, “घर संसार” जैसी फ़िल्मों में भी ये छोटे लेकिन असरदार किरदार में दिखीं. ये सिनेमा के किसी बड़े परिवार से संबद्ध नहीं थीं और न ही इनकी कोई ख़ास जान पहचान थी फ़िल्म जगत में, तो फ़िल्मों के चुनाव के लिए, इन्हें कोई सलाह नहीं मिली. इन्होंने रामसे बंधुओं की डरावनी फ़िल्मों में भी काम किया.”
ये ख़ूबसूरत थीं और अभिनय भी अच्छा करती थीं| इसलिए इन्हें काम मिलना एकदम से बंद नहीं हुआ| जब सब सोच रहे थे कि इनका करियर ख़त्म हो जाएगा, इन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के साथ, “वारदात” और “हम से बढ़कर कौन” जैसी फ़िल्मों से, फिर वापसी की|
काजल ने मलयालम, कन्नड़ और तमिल फ़िल्मों में भी काम किया| मोहन लाल जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ भी इन्होंने काम किया| अचानक, 1990 में ये ख़बर मिली कि अपने गिरते हुए करियर से और न लड़ पाने का फ़ैसला कर, काजल ने शादी कर ली और नीदरलैंड चली गईं| अब इनकी कोई ख़बर नहीं, सलाहियत, एक बार फिर क़िस्मत के आगे लाचार और ख़ामोश है|
बस इतना वादा किया जा सकता है कि अब काजल किरन का नाम उस फ़ेहरिस्त से मिटा दिया जाएगा, जिसमें सिर्फ वो पहचानी शक्लें हैं, जिनका नाम हम नहीं जानते|
(लेखक जाने-माने साहित्यकार, स्तंभकार, व शिक्षाविद हैं.)