एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सर्वोच्च न्यायालय ने केरल की उस महिला के पिता की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से आज इनकार कर दिया, जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करने से पहले इस्लाम कबूल लिया था।
याचिका में कहा गया था कि महिला से बातचीत बंद कमरे में की जाए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह 27 नवंबर को इस याचिका पर सुनवाई करेगी। महिला के पिता अशोकन के. एम. के वकील ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की, उन्होंने कहा कि अगर खुली अदालत में सुनवाई करने के पूर्व केआदेश में संशोधन नहीं किया गया, तो यह निष्फल हो जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 16 अगस्त को कहा था कि इस मामले में अंतिम निर्णय करने से पहले महिला से बंद कमरे में बात की जायेगी, परंतु बाद में इस आदेश में सुधार कर कहा गया, “हम यह जोड़ रहे हैं कि यह न्यायालय बंद कमरे के बजाए खुली अदालत में बात करेगा।” शीर्ष अदालत ने पहले टिप्पणी की थी कि वयस्क की स्वेच्छा से विवाह के लिये सहमति के बारे में जानकारी प्राप्त करनी होगी, इस संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का कहना था कि सिखाया पढ़ाया गया व्यक्ति विवाह के लिये स्वेच्छा से सहमति देने में असमर्थ होता है।
इस महिला के पिता के वकील ने पहले दावा किया था कि उसकी बेटी का कथित पति शफीन जहां एक कट्टर व्यक्ति है और उसके आईएसआईएस में भर्ती कराने वाले लोगों से संबंध हैं, इस हिन्दू महिला ने इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद जहां से शादी कर ली थी, आरोप है कि इस महिला को सीरिया में इस्लामिक स्टेट मिशन द्वारा भर्ती किया गया था और जहां तो केवल एक गुर्गा ही है।