न्यूज डेस्क| Navpravah.com
गुवाहाटी/नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा 1966 से चलाए जा रहे “अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन (SEIL)” अभियान ने एक बार फिर पूर्वोत्तर और शेष भारत के बीच सांस्कृतिक सेतु को मजबूत किया है। इस वर्ष देशभर से पहुंचे प्रतिनिधियों ने मेघालय और अरुणाचल प्रदेश की जनजातीय परंपराओं, जीवनशैली और आत्मीयता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश से शामिल प्रतिनिधि सात्विक श्रीवास्तव ने इस अनुभव को “भारत की मूल परंपरा के सजीव दर्शन” बताया।
मेघालय: मातृसत्तात्मक समाज और प्रकृति के प्रति गहरी संवेदनशीलता
यात्रा की शुरुआत गुवाहाटी में ओरिएंटेशन से हुई, जिसके बाद प्रतिनिधियों को समूहों में विभाजित किया गया। सात्विक जिस समूह ‘लांगोल’ के सदस्य थे, उसमें 7 राज्यों के प्रतिभागी शामिल थे।
मेघालय में प्रतिनिधियों ने देखा कि आधुनिकता के बीच भी स्थानीय जनजातियाँ प्रकृति, संस्कृति और परंपरा से अभिन्न रूप से जुड़ी हैं। मातृसत्तात्मक समाज की खास व्यवस्था, संपत्ति का मातृरेखा से स्थानांतरण, छोटी बेटी की विशेष भूमिका और ‘नोकमा’ जैसी महिलाओं को सशक्त करने वाली प्रणालियाँ भी प्रतिभागियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहीं।
सात्विक ने बताया कि स्थानीय लोगों की प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता अद्भुत है। एक अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि “एक स्थानीय युवक ने रात में पेड़ को हाथ लगाने पर कहा—‘उन्हें मत जगाइए, उन्हें दुख होगा।’ इस मासूमियत ने पेड़ों को भी जीव मानने की संस्कृति का एहसास कराया।”
अरुणाचल प्रदेश: अतिथि को पुत्र समान सम्मान
अरुणाचल प्रदेश की यात्रा ने प्रतिनिधियों को भावुक कर दिया। ईटानगर के एक स्थानीय परिवार में ठहरे सात्विक के अनुसार, परिवार के मुखिया ने उनसे कहा—“जब तक तुम अरुणाचल में हो, तुम हमारे बेटे हो। तुम्हें किसी संकट से बचाने के लिए हम जान लगा देंगे।” यह संवेदना उन्हें गहरे तक छू गई।
प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री पेमा खांडू से संवाद का अवसर भी मिला, जहां अरुणाचल की जनजातीय विविधता, कला-साहित्य, भूगोल और आत्मनिर्भरता मॉडल पर चर्चा हुई।
राज्य में बंबू इंडस्ट्री, ऑर्गेनिक फार्मिंग, ईको-एग्रो टूरिज्म, टी इंडस्ट्री और मछली पालन जैसे आत्मनिर्भर आजीविका मॉडल ने प्रतिनिधियों को बेहद प्रभावित किया।
विविधता में एकता का जीवंत उदाहरण
दोनों राज्यों में आत्मीयता, प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, अतिथि–देवो–भव परंपरा, संस्कृति के संरक्षण और महिला सशक्तिकरण की प्रत्यक्ष अनुभूति ने प्रतिभागियों को ‘एक भारत’ की भावना से जोड़ा।
सात्विक श्रीवास्तव कहते हैं, “पूर्वोत्तर भारत वास्तव में दुनिया का सबसे सुंदर, विविधतापूर्ण और रंग-बिरंगा क्षेत्र है। तमाम विविधताओं के बावजूद ‘एक राष्ट्र, एक परंपरा, एक जन’ की भावना यहां जीवंत है।”
ABVP का SEIL अभियान वर्षों से पूर्वोत्तर और भारत के अन्य हिस्सों के बीच सांस्कृतिक एकता के इस सूत्र को और मजबूत कर रहा है।














