वाराणसी हत्याकांड : शराब कारोबारी और परिवार का कत्ल, बड़ा भतीजा सस्पेक्ट

मेधा सिंह| navpravah.com

नई दिल्ली | वाराणसी के शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता समेत परिवार के चार लोगों का बीते मंगलवार को कत्ल कर दिया गया । कत्ल का प्राइम सस्पेक्ट उसका भतीजा विशाल गुप्ता उर्फ विक्की(33) है।वह पेशे से सॉफ्टवेयर डेवलपर है।तहकीकात के लिए पुलिस विशाल की गर्लफ्रेंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जो महाराष्ट्र में रहती है। विशाल की तलाश छह राज्यों में जारी है पर अभी तक वह पुलिस के हाथ नहीं आया है।उसका फोन 24 अक्टूबर से बंद है।चार नवंबर तक वह वाराणसी में ही था।उसकी आखिरी लोकेशन बेंगलुरु मिली है।उसका भाई प्रशांत उर्फ जुगनू (29)अपने परिवार वालों का अंतिम संस्कार करने के बाद से पुलिस कस्टडी में है। कहा जा रहा है कत्ल के लिए शूटरों को सुपारी दी गई थी कई नंबर सर्विलांस पर रखे गए हैं ताकि विशाल का पता चल पाए। राजेंद्र गुप्ता(45) ,उसकी पत्नी नीतू(42) उसके तीन बच्चे नवनेंद्र(25),गौरांगी(17), सुबेंद्र(15)का कत्ल कर दिया गया है। नवनेंद्र बेंगलुरु में नौकरी करता था वह पेशे से इंजीनियर था और बाकी दोनों बच्चे डीपीएस में पढ़ते थे।राजेंद्र की यह दूसरी शादी थी पहली पत्नी से उसे एक बेटा है जिसका नाम आदित्य है वह अपनी मां के साथ आसनसोल में रहता है ।

 कैसे हुआ कत्ल?

राजेंद्र को मारने के लिए कातिल पहले उसके मीरापुर वाले घर गए और उसे गोलियां दाग दीं। जिस घर में राजेंद्र का कत्ल हुआ उसका निर्माण कार्य चल रहा था। राजेंद्र की अर्धनग्न लाश बिस्तर पर मिली उसे एक गोली सिर में और दो गोली सीने में मारी गई। कत्ल से एक घंटे पहले उसके कमरे से एक महिला निकली थी उस महिला की तलाश जारी है।राजेंद्र के कत्ल के बाद कातिल उसके भदैनी के पुश्तैनी घर पहुंचे और वहां उसकी पत्नी और तीनों बच्चों का कत्ल कर दिया । उनके भी सीने और कनपटी पर गोली मारी गई।दोनों जगह मिले खोखे से पुलिस यही आशंका जता रही कि कत्ल 0.32बोर की पिस्तौल से किया गया है।

 हत्या का खुलासा कब और कैसे हुआ?

इस हत्या का खुलासा तब हुआ जब घर में काम करने वाली रीता देवी 11 बजे आई और उसने प्रथम मंजिल का दरवाजा खटखटाया कोई सुगबुगाहट ना पाकर उसने दरवाजे को धक्का दिया तो देखा नीतू जमीन पर खून से लथपथ पड़ी हुई है जब वह दूसरी मंजिल पर गई तब उसने देखा नमनेंद्र और गौरांगी भी खून से लहूलुहान मृत पड़े हैं और शौचालय में सुबेंद्र मृत पड़ा था। जब पुलिस को खबर मिली तब वह राजेंद्र को ढूंढने लगी।उसका नंबर सर्विलांस पर डाला गया।उसकी लोकेशन पाकर जब पुलिस मीरापुर स्थित उसके आवास पर पहुंची तब राजेंद्र की लाश मच्छरदानी लगे बिस्तर के अंदर अर्धनग्न मिली।

 कातिल का कत्ल 28 साल बाद, भतीजे ने लिया बदला?

दरअसल इस हत्याकांड के बीज आज से 28 साल पहले बोए गए थे वर्ष 1997 वाराणसी के एक बड़े कारोबारी लक्ष्मी नारायण के बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता में प्रॉपर्टी को ले कर विवाद था।यह लक्ष्मी नारायण का दूसरा विवाह था उनकी पहली पत्नी का निधन हो गया था।दोनों बेटे उनकी दूसरी पत्नी शारदा देवी के साथ थे।दोनों बेटों में विवाद अत्यधिक बढ़ गया था और एक बार कृष्णा ने अपने बड़े भाई को मारपीट दिया था जिसके बाद से राजेंद्र ने बोला था कि अगर वह उसे प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं देंगे तो वह उन सबको जान से मार देगा पर उसकी बात को किसी ने गंभीरता से नहीं किया। राजेंद्र गुप्ता एक दिन रात को अपने कमरे से निकला और अपने छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उसकी पत्नी बबिता गुप्ता के कमरे में गया और उनपर गोली चलाकर उनका कत्ल कर दिया ।उनके साथ में सोए बेटे जुगनू पर भी दो गोलियां चलाईं।वह मौके से फरार हो गया।लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी जब आवाज सुन कर पहुंचे तब वह बिस्तर पर लहूलुहान पड़े अपने बेटे बहु और पोते को अस्पताल ले गए जहां बेटे और बहु को मृत घोषित कर दिया गया पर पोते जुगनू को ऑपरेशन करके बचा लिया गया।लक्ष्मी नारायण ने बड़े बेटे राजेंद्र के खिलाफ केस कर दिया। कृष्णा और बबिता के तीन बच्चे थे डॉली ,विशाल(विक्की) और प्रशांत (जुगनू)।

घर में शराब और प्रॉपर्टी का कारोबार था । कृष्णा पिता लक्ष्मी नारायण से ज्यादा करीब थे इसलिए कारोबार वह संभालते थे यह बात राजेंद्र को अखरती थी इसलिए उसने 10 जून 1997 को अपने छोटे भाई और उसकी पत्नी को सोते वक्त गोली मार दिया । पुलिस इन्वेस्टीगेशन में राजेंद्र कातिल निकला और उसे पुलिस ने अरेस्ट कर लिया।लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी बच्चों का ख्याल रखते थे और लक्ष्मी नारायण अपने पौत्रों को कारोबार सीखाने लगे।छह महीने बाद 5दिसम्बर 1997 को राजेंद्र जेल से पैरोल पर छूटा तब उसने धंधे पर अपना हक जमाना चाहा पर पिता के कड़े रुख से वह ये कर नहीं पाया तब उसने अपने पिता के कत्ल का षडयंत्र रचा उसने आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा पर देसी शराब ठेके के पास सुपारी देकर अपने पिता और उनके बॉडीगार्ड का कत्ल करवा दिया ।

कृष्णा के बेटे विशाल और जुगनू हमेशा कोर्ट में जाते थे ताकि उनके माता पिता को न्याय मिल सके पर दादा जी की हत्या के बाद चीज़ें बदल गईं।पहले लक्ष्मी नारायण केस के वादी थे बाद में उनकी पत्नी अपने बेटे बहु और अपने पति के केस की वादी थीं लेकिन शारदा देवी ने बाद में 1999 में अपना बयान बदल दिया और राजेंद्र को दोनों केस से राहत मिल गई और वह बच गया इसके बाद उसने पूरे कारोबार पर अपना हक जमा लिया । उसकी पहली पत्नी कई बार बुलाने पर भी मायके से नहीं आई।

 राजेंद्र और विशाल के बीच थे खराब रिश्ते

राजेंद्र विशाल और जुगनू के पढ़ाई का खर्च उठाता था। विशाल और राजेंद्र के बीच अच्छे संबंध नहीं थे दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे।

राजेंद्र की मां ने बताया कि उन्होंने दोनों बच्चों विशाल और जुगनू का ख्याल रखा । दो साल पहले राजेंद्र ने विशाल को घर से निकाल दिया तब से वह बाहर काम करता है।उन्होंने बताया राजेंद्र और उसके बड़े बेटे नवनेंद्र ने विशाल को इसी बात पर बहुत मारा था इस बात से विशाल बहुत गुस्से में था उसने कहा था वो अपने माता पिता की मौत का बदला लेगा । विशाल दिवाली पर घर आया था और भाई दूज पर भी आया था तब तक सब ठीक था । इस भाई दूज पर राजेंद्र ने विशाल से उसके साथ काम करने को कहा वह उसे बीस पच्चीस हजार रुपए देगा यह भी कहा।राजेंद्र और विशाल के बीच अक्सर कई बातों पर टकरार होती रहती थी।विशाल कई बार प्रॉपर्टी में आधे हिस्से की बात करता था जिससे राजेंद्र उसे बहुत मारता पीटता था उसे बहुत परेशान करता था ।राजेंद्र ने एक बार विशाल से कहा था उसके माता पिता की तरह वह उसका भी कत्ल कर देगा।

काशी जोन के DCP गौरव बंसवाल के अनुसार राजेंद्र की मां शारदा देवी के बयान से शक विशाल पर जा रहा है।राजेंद्र की पहली शादी से हुए बेटे आदित्य की तलाश में जब पुलिस आसनसोल स्थित उसके आवास पर पहुंची तब वह वहां से नदारद था।

 राजेंद्र और नीतू की प्रेम कहानी

नीतू मऊ की मूलनिवासी है ।1998 में उसने वाराणसी के बसंत महाविद्यालय में दाखिला लिया वह शिवाला स्थित एक किराए के मकान में अपने परिवार संग रहने लगी।राजेंद्र उस घर का मकान मालिक था। 15अगस्त1999को दोनों की मुलाकात हुई और दोनों में प्रेम प्रसंग शुरू हो गया।जब परिवार को इसके बारे में पता चला तब उन्होंने नीतू का घर से बाहर आना जाना बंद करा दिया।राजेंद्र नीतू की सहेलियों के मदद से उसे पत्र लिखा करता था।दोनों ने 2000में विवाह कर लिया पर नीतू का परिवार इससे खुश नहीं था और उन्होंने उससे सारे रिश्ते नाते तोड़ दिए जिसके बाद वह अपने पति के घर भदैनी में आ कर रहने लगी उसने कृष्णा के दोनों बच्चों को अपनाया और उनके बीच अच्छे रिश्ते कायम हो गए । बच्चों ने उसे अपनी सगी मां की तरह अपनाया।

जुगनू ने बताया कि उसका बड़ा भाई विशाल अंतर्मुखी है।वह बहन डॉली और जुगनू से भी ज्यादा बात नहीं करता है।जुगनू ने बताया घर छोड़ने के बाद विशाल किसी रिश्तेदार से ज्यादा बातचीत नहीं करता था।वह जब भी कॉल करता था फोन नंबर नया होता था। इस हत्याकांड में अभी कई खुलासे होना बाकी हैं।

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