आशीष पाण्डेय,
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा है कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन अगर देश में पर्याप्त नौकरियां होंगी तभी संतुष्टि और संपूर्णता होगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इसके विपरीत का माहौल देश में त्रासदी ला सकता है। मुखर्जी ने कहा कि मशीनों के तेजी से चलन में आने के साथ हमें व्यापक बदलाव की ओर से ध्यान देना होगा।
शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि नौकरियां पैदा करने के आंकड़े पिछले सात वर्षों में सबसे निचले स्तर पर हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि नौजवानों की सर्वाधिक आबादी होने से हमारे पास निम्न निर्भरता अनुपात का फायदा उठाने का पूरा मौका है, लेकिन नौकरियों के अवसर पैदा करने के विपरीत हालात देश में त्रासदी पैदा कर सकते हैं।
विभिन्न संस्थानों में छात्रों के विरोध की घटनाओं का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को उच्च स्तर की पढ़ाई करने के लिए सद्भावपूर्ण और शांतिपूर्ण माहौल की जरूरत है। उन्होंने संबंधित सरकारी विभागों से कहा कि वे इन शैक्षणिक नेतृत्वकर्ताओं की मदद करें। मुखर्जी ने कहा कि देश के संस्थानों को प्रतिभाओं के सहायक के तौर पर काम करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि शैक्षिक संस्थानों को खुद को ऐसा चुंबक बनना होगा, जिससे ब्रेन ड्रेन से ब्रेन रेन की प्रक्रिया शुरू हो जाए।
राष्ट्रपति ने कहा, “युवाओं की नाराजगी और परेशानी अशांति और उथल-पुथल के रूप में सामने आती है। ऐसे हालात पैदा मत होने दीजिए। हमें बड़ी आबादी को अपनी ताकत में तब्दील करना होगा। इसके लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाना हमारी प्राथकिमता है। साल 2015 में नौकरियां पैदा होने का आंकड़ा 1.5 लाख था, जो पिछले सात वर्षों में सबसे कम है।”