नृपेन्द्र कुमार मौर्य| navpravah.com
नई दिल्ली | अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हर चार साल में होता है, लेकिन इस बार का चुनाव कुछ खास है। डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले राष्ट्रपति रह चुके हैं, और कमला हैरिस, जो उपराष्ट्रपति पद पर रह चुकी हैं, के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। इस चुनाव पर न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं।
इस बार का चुनाव 5 नवंबर को हो रहा है, और इसके परिणाम का सबको बेसब्री से इंतजार है। अगर ट्रंप और हैरिस के बीच एक अद्भुत संयोगवश बराबरी हो जाती है, तो क्या होगा? अमेरिकी संविधान के अनुसार, यदि दोनों उम्मीदवार 270 वोटों की सीमा तक पहुंचने में विफल रहते हैं, तो निर्णय की बागडोर कांग्रेस को थामनी होगी। इसका अर्थ है कि निर्णय अमेरिकी संसद करेगी, और यहां प्रत्येक राज्य को एक-एक वोट देने का अधिकार होगा। भले ही किसी राज्य की जनसंख्या अधिक हो या कम, हर राज्य का वोट बराबरी का होगा।
ऐसा मौका इतिहास में बहुत कम देखने को मिला है। पिछली बार 1800 के चुनाव में, जब थॉमस जेफरसन और मौजूदा राष्ट्रपति जॉन एडम्स के बीच टाई हुई थी, तो अंततः कांग्रेस ने जेफरसन को राष्ट्रपति चुना। उस समय सदन में सहमति बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। इस टाई के बाद अमेरिकी संविधान में 12वां संशोधन जोड़ा गया, ताकि चुनाव की प्रक्रिया को स्पष्ट किया जा सके और भविष्य में टाई की स्थिति से निपटा जा सके। अगर इस बार फिर से ऐसा होता है, तो कांग्रेस में 6 जनवरी 2025 को आकस्मिक चुनाव होगा, जिसमें राज्य एक-एक वोट डालेंगे। यह एक रोमांचक लेकिन दुर्लभ स्थिति होगी।
अब सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका में चुनाव कैसे होते हैं? अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और इसमें पांच मुख्य चरण होते हैं। सबसे पहले प्राइमरी और कॉकस होते हैं, जहां पार्टी के भीतर उम्मीदवार चुने जाते हैं। इसके बाद नेशनल कन्वेंशन होता है, जहां प्रत्येक पार्टी अपने अंतिम उम्मीदवार का ऐलान करती है। फिर आता है आम चुनाव का दौर, जो सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। आम चुनाव में जनता अपने मत का प्रयोग करके इलेक्टर्स को चुनती है। हर राज्य के पास उसकी जनसंख्या के अनुसार इलेक्टर्स की संख्या होती है। इनमें “विनर टेक्स ऑल” का नियम लागू होता है, यानी जिस उम्मीदवार को राज्य में सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसे उस राज्य के सभी इलेक्टर्स का समर्थन मिलता है।
इसके बाद इलेक्टोरल कॉलेज का चरण आता है। इसमें प्रत्येक राज्य के इलेक्टर्स एक विशेष दिन पर मिलकर मतदान करते हैं और राष्ट्रपति के लिए अंतिम निर्णय लेते हैं। अंत में, नए चुने गए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता है और वह अपने कार्यकाल की शुरुआत करते हैं।
इस चुनाव में लोगों की उम्मीदें और चिंताएं दोनों ही ऊंचाई पर हैं। नतीजा जो भी हो, इस चुनाव का असर न केवल अमेरिका पर, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों पर भी पड़ने वाला है।