नृपेंद्र कुमार मौर्य | navpravah.com
नई दिल्ली | जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो कुछ हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर दिया। आतंकियों ने बैसारन घाटी में घात लगाकर हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और 20 से ज्यादा घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़ा है।
इस दर्दनाक घटना के बाद भारत ने अब पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार शाम कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की एक अहम बैठक हुई, जिसमें पांच बड़े फैसले लिए गए। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने इन फैसलों की जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
भारत के पांच कड़े कदम-
• अटारी-वाघा बॉर्डर सील
भारत ने अटारी-वाघा सीमा को तुरंत प्रभाव से बंद करने का फैसला किया है। जिन लोगों के पास वैध यात्रा दस्तावेज हैं, उन्हें 1 मई 2025 तक लौटने की मोहलत दी गई है। इसके बाद दोनों देशों के बीच ज़मीनी आवाजाही पूरी तरह बंद हो जाएगी।
• इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास बंद
भारत ने पाकिस्तान में स्थित अपना दूतावास बंद करने का एलान किया है। साथ ही, दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 कर दी जाएगी। यह फैसला भी 1 मई से लागू होगा।
• सिंधु जल समझौते पर रोक
भारत ने 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। सरकार का कहना है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, समझौता लागू नहीं होगा। इसका असर पाकिस्तान की खेती और जल आपूर्ति पर पड़ सकता है।
• पाकिस्तानी सैन्य राजनायिकों को निकाला गया
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। भारत ने अपने सैन्य अधिकारियों को भी इस्लामाबाद से वापस बुला लिया है।
• वीजा पर रोक
अब भारत, पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी नहीं करेगा। पहले से जारी वीजा रद्द कर दिए गए हैं और भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है।
हमले की पृष्ठभूमि और जमीनी हालात-
हमला बेहद सुनियोजित था। चार से छह आतंकियों ने पर्यटकों पर उस वक्त हमला किया, जब वे बैसारन घाटी का भ्रमण कर रहे थे। मारे गए लोगों में 24 भारतीय, एक नेपाली, एक स्थानीय कश्मीरी और एक यूएई नागरिक शामिल हैं। इस हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और एक इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी भी शहीद हुए।
आतंकियों ने खासतौर पर गैर-मुस्लिम पर्यटकों को निशाना बनाया, जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव और भय का माहौल बन गया है।
तेज और निर्णायक प्रतिक्रिया-
प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़कर बुधवार सुबह भारत वापसी की। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ आपात बैठक की। गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं कश्मीर जाकर हालात का जायजा लिया और घायलों से मुलाकात की।
जांच और सुरक्षा तैयारियां-
हमले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी गई है। एनआईए ने तीन संदिग्ध आतंकियों—आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू ताल्हा के स्केच जारी किए हैं। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से पूरे इलाके की निगरानी की जा रही है।
दुनियाभर से प्रतिक्रियाएं-
अमेरिका, फ्रांस, इजरायल, ईरान, रूस और यूरोपीय संघ ने हमले की कड़ी निंदा की है और भारत के साथ एकजुटता जताई है। वहीं पाकिस्तान ने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन भारत ने इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है और पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप दोहराया है।
आगे की राह-
इन घटनाओं और फैसलों के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अब एक बेहद नाजुक मोड़ पर हैं। जहां एक ओर भारत ने आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को फिर दोहराया है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि कूटनीतिक संबंधों में आई दरार और सिंधु जल समझौते पर रोक पाकिस्तान पर गंभीर असर डाल सकती है। पर्यटन उद्योग, खासतौर पर कश्मीर में, इस हमले से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बुकिंग्स रद्द हो रही हैं और पर्यटकों में डर का माहौल है।
फिलहाल, भारत की नजर हमले के पीछे छिपे चेहरों को बेनकाब करने और उन्हें सजा दिलाने पर है। आने वाले दिन इस संघर्ष की दिशा तय करेंगे।