ब्यूरो | navpravah.com
नई दिल्ली। नेपाल में सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों और देश में हाल ही में लगे सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद सरकार का विरोध शुरू हो गया है। देश के युवा खासकर जेनरेशन जेड सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर गए हैं। युवाओं ने सरकार के विरोध में नारेबाजी की। कई युवा दीवार फांदकर संसद भवन में घुस गए। पुलिस ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वे बेकाबू हो गए और बैरिकेड कूदकर इधर उधर भागने लगे। इस दौरान पुलिस पर पथराव हुआ। पुलिस ने बचाव में हल्का लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। कुछ जगहों पर पानी की बौछार की और फायरिंग भी की। इस दौरान एक की मौत हो गई और 42 लोग घायल हो गए। काठमांडू के न्यू बानेश्वर और झापा जिले के दमक में सबसे ज्यादा हालात खराब हैं।
द हिमालयन टाईम्स के अनुसार, फायरिंग में घायल एक युवक ने सिविल अस्पताल में दम तोड़ दिया। कई घायलों की पहचान अब भी नहीं हो पाई है। दमक में प्रदर्शन कर रहें युवकों ने नेपाली प्रधानमंत्री के पी ओली का पुतला फूंका और कार्यालय के द्वार को भी तोड़ने की कोशिश की। हालात और न खराब हो इसलिए अब सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है।
न्यू बानेश्वर में गोलाबारी में कुछ लोग घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए एवरेस्ट अस्पताल, सिविल अस्पताल समेत आस पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कार्यकर्ता रोनेश प्रधान ने बताया कि हामी नेपाल संगठन ने प्रदर्शनकारियों को उपचार के लिए मैतीघर में एक चिकित्सा शिविर भी बनाया है। प्रधान ने कहा कि मैतीघर में छह से सात घायलों का इलाज चल रहा है जबकि ज्यादातर घायलों का इलाज एवरेस्ट अस्पताल में चल रहा है। घायलों की सटीक संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है।
सोशल मीडिया पर क्यों लगा प्रतिबंध?
सरकार का कहना है कि उन्होंने सोशल मीडिया पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया था। इन सात दिनों में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने पंजीकरण नहीं किया। इसके बाद से नेपाली सरकार ने इंस्टाग्राम, फेसबुक, युट्युब समेत ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी।
सरकार का आरोप है कि फर्जी आईडी का उपयोग करके समाज में नफरत और अफवाह फैलाई जा रही है। इससे समाज में अशांति और असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही है।