शिखा पांडेय,
भारत की परमाणु आपूर्ति समूह की सदस्यता के मार्ग में रोड़ा अटकने के लिए अब चीन के साथ और 5 देश खड़े हो गए हैं। इनमें ब्राजील, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की के नाम शामिल हैं। इससे पहले चीन के विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक में शामिल होने ताशकंद पहुंचे। यहां पर पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की।
उल्लेखनीय है कि भारत एनएसजी में प्रवेश के लिए कई देशों से बात कर रहा है। रूस और अमेरिका समेत कई ऐसे देश हैं जो भारत को एनएसजी का सदस्य बनाना चाहते हैं लेकिन चीन के साथ अब ये पांच और देश मिलकर इसका विरोध कर रहे हैं। चीन का कहना है कि जिन आधारों पर भारत को सदस्यता दी जा सकती है, उन्हीं आधारों पर अन्य देशों को भी एनएसजी में शामिल किया जाना चाहिए। ऐसे में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में पाकिस्तान के शामिल होने की राह भी खुल जायेगी, जिस पर अनेक देशों को आपत्ति है, क्योंकि पाकिस्तान ने गुप-चुप तरीके से ईरान, लीबिया और उत्तरी कोरिया को परमाणु तकनीक मुहैया कराई है। अब चीन के इसी पक्ष के साथ कई देश जुड़ गए हैं। इसलिए अब भारत के लिए राह और कठिन हो रही है।
इधर पाकिस्तान लगातार भारत का विरोध कर ही रहा है। भारत के विरोध में पाकिस्तान का तर्क है कि भारत को परमाणु साजो-सामान और तकनीक देने से उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बड़ी मदद मिलेगी। इससे परमाणु हथियारों की दौड़ को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन यह तर्क बेमानी है, क्योंकि पाकिस्तान फिसिल मैटेरियल कट-ऑफ ट्रीटी का जोरदार विरोध करता है, जो सभी देशों में परमाणु हथियारों को कम करने के लिए लाया गया है। यह संधि पाकिस्तान की शंकाओं का समाधान करती है, पर उसने इसे मानने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि सियोल में एनएसजी देशों के पूर्ण सत्र के पहले फ्रांस ने एनएसजी में एंट्री के लिए भारत के समर्थन का ऐलान किया था। फ्रांस ने इस बारे में बुधवार को एक बयान जारी किया था। अमेरिका ने भारत के समर्थन का पहले ही ऐलान किया है। इस बीच मैक्सिको ने भी एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है। मैक्सिकन राजदूत ने कहा कि वह भारत के साथ ही सभी एनपीटी देशों के एनसीजी में शामिल होने का समर्थन करते हैं।