चाँद पर बसना हुआ आसान, वैज्ञानिकों ने हवा से बनाया कमरा

प्रमुख संवाददाता,

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है। भविष्य में चांद या मंगल पर बसने की कोशिशों के तहत नासा ने हवा से फैला कर कमरा तैयार करने में सफलता पाई है।

इस तकनीक को बिगेलो इक्सपैंडेबल ऐक्टिविटी मॉड्यूल (बीम) का नाम दिया गया है।इसके तहत अंतरिक्ष यात्री जेफ विलियम्स ने कल वाल्व का इस्तेमाल कर पॉड की परत में हवा भरी और उसे फैलाया और कमरा बनाया। पॉड फुलाने का काम पूरा होने पर विलियम्स ने बीम के अंदर आठ हवा के टैंक खोले और उसका दाब स्तर 14.7 पीएसआई के करीब लाया।

नासा के प्रवक्ता डैनियल हुओट ने बताया, “मॉड्यूल पूरी तरह से फैलाया हुआ और पूरी तरह दाबित है।” नासा ने कहा कि अब अंतरिक्ष यात्री कई परीक्षणों द्वारा यह सुनिश्चित करेंगे कि कहीं इससे हवा का रिसाव न हो। वे तकरीबन एक हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के ‘ट्रांक्विलिटी मॉड्यूल’ से इसमें प्रवेश करने से पहले ढेर सारी अन्य तैयारियां भी करेंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि फैलाने की प्रक्रिया को खोलना भी कहा जा सकता है क्योंकि बीम को पूर्ण आकार में लाने के लिए महज 0.4 पीएसआई की जरुरत पडती है। भविष्य में अंतरिक्षयात्रियों को चांद या मंगल ग्रह पर रहने के लिए इसी तरह के आवासों की जरुरत पड़ सकती है।

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