शिखा पाण्डेय,
गलती से लाइन ऑफ़ कंट्रोल पार कर पाकिस्तान की गिरफ्त में आये भारतीय जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण को वापस लाने के लिए भारत ने अब कूटनीतिक तरीका अपनाने का फैसला लिया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अबतक इंडियन आर्मी के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन) रणबीर सिंह ही पाकिस्तान के डीजीएमओ से बातचीत कर रहे थे, लेकिन परिणाम सकारात्मक दिखाई नहीं दे रहे।
सिंह ने पाकिस्तान के डीजीएमओ से चंदू बाबूलाल चव्हाण को छोड़ने की अपील की थी लेकिन पाकिस्तान की तरफ से कोई जवाब ही नहीं आया। इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि अब उसे ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से बातचीत करनी होगी। आपको बता दें कि अब तक भारत ने आर्मी को ही चंदू को वापस लाने की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। भारतीय विदेश मंत्रालय अब तक चव्हाण के केस को नहीं देख रहा था।
गौरतलब है कि चंदू महाराष्ट्र के धुले गांव के रहने वाले हैं। A-37 राष्ट्रीय राइफल के सिपाही चंदू बाबूलाल चौहान जो कि जम्मू कश्मीर के मेंडर सेक्टर में पोस्टिंग पर थे, सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ घंटों बाद लापता हो गए थे। बाद में पता लगा कि वह अनजाने में बॉर्डर पार करके पाकिस्तान चले गए। उनके पकड़े जाने की खबर सुनकर उनकी दादी को ऐसा सदमा लगा कि उनकी मौत हो गई।
पहले तो पाकिस्तान चंदू के उसके पास होने की बात को नकारता रहा लेकिन बाद में उसने चंदू के उसके पास होने की बात स्वीकारी। रक्षा मंत्री मनहोर पर्रिकर ने कहा था कि फिलहाल हालात ठीक नहीं हैं इस वजह से चंदू को वापस लाने में थोड़ा वक्त लग सकता है। चंदू चव्हाण के भाई भूषण, जो खुद भारतीय सेना में हैं, उन्होंने कहा, “हम लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि वे लोग चंदू पर अत्याचार करेंगे।” भूषण इस वक्त गुजरात में तैनात हैं।