कोमल झा| Navpravah.com
पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग का एक बहुत ही भयावह असर देखने जा रही है. अंटार्कटिका से एक 6,000 वर्ग किलोमीटर की एक बर्फ की चादर टूटने वाली है. इसकी जानकारी यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने दी है.
इस बर्फ के चादर की साइज 4 लंदन शहर या 7 न्यूयॉर्क शहरों के बराबर है. आप सोच सकते हैं कि इतने बड़े आकार के बर्फ की चादर के पिघलने से क्या होगा. अगर ये चादर टूट जाती है तो ये अबतक का सबसे बड़ा आइसबर्ग यानी समुद्र में तैरने वाला बर्फीला चट्टान होगा.
हालांकि एजेंसी इस बात का अंदाजा नहीं लगा पा रही कि ये चादर कब तक टूट जाएगी. इसे टूटने में कुछ हफ्ते, कुछ दिन या कुछ घंटे भी लग सकते हैं. लेकिन अगर ये चादर टूटती है तो इलाके में मौजूद जहाजों को भयंकर खतरा है.
ईसीए इस पूरे घटनाक्रम पर क्रायोसैट सैटेलाइट के जरिए नजर रख रहा है. ये सैटेलाइट अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की हलचलों पर नजर रखता है. इस बर्फ की चादर को लार्सन सी नाम दिया गया है. ये चादर अंटार्कटिका के पूर्वोत्तर तट के महान बर्फ की चट्टान लार्सन से जुड़ी हुई है. इस चट्टान में अबतक 200 किलोमीटर लंबी दरार पड़ चुकी है. अब ये चादर इस चट्टान से बस 5 किलोमीटर के दायरे तक जुड़ी हुई है.
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स की एना हॉग ने ईसीए को बताया, ‘हमें नहीं पता कि क्या होगा. लेकिन हो सकता है कि चादर टूटने के बाद टुकड़ों में पिघल सकता है या बाद में टूट सकता है लेकिन जो भी होगा वो इस इलाके के जहाजों के लिए आपदा से कम नहीं होगा.’
लार्सन सी से पहले लार्सन ए और लार्सन बी भी लार्सन बर्फ की चट्टान से अलग हो चुके हैं. साथ ही ये भी अनुमान है कि लार्सन सी के टूटने के बाद बड़े बर्फ की चट्टान लार्सन कमजोर हो सकती है. लार्सन सी का टूटना तेजी से गर्म हो रही धरती के लिए एक और खतरे की घंटी साबित हो सकती है.