अनुज हनुमत,
भारत इस बार एनएसजी की सदस्यता पाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता, इसीलिए पीएमओ सहित पूरा विदेश मंत्रालय पूरी तेजी से लगा है। इसी प्रयास के तहत विदेश सचिव एस जयशंकर कल से शुरू हो रही एनएसजी की पूर्ण बैठक से पहले भारत के सदस्यता प्रयासों को मजबूत करने के लिए आज सोल रवाना हो गए।
एक तरफ भारत जहां सदस्यता पाने की उम्मीद कर रहा है वहीं चीन, तुर्की जैसे देश इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। जयशंकर दक्षिण कोरिया की राजधानी में भारत की सदस्यता हासिल करने की संभावना को मजबूत करने के लिए सदस्यों का समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे। ये दौरा इसी लिहाज आवश्यक है। वह सोमवार से शुरू हुई 48 देशों वाले समूह की आधिकारिक स्तर की वार्ता के दौरान हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नजर रखे हुए थे। सूत्रों की माने तो विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं ‘निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा’ प्रभाग के प्रभारी अमनदीप सिंह गिल समर्थन जुटाने और भारत के मामले की व्याख्या करने के लिए पहले से ही सोल में हैं।
भारत जैसे गैर एनपीटी देशों के प्रवेश पर सदस्यों के बंटे होने के साथ चीन एनएसजी सदस्यता के भारत के प्रयासों में लगातार रोड़ा अटका रहा है। बताते चलें कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और अगर कोई एक देश भी भारत के खिलाफ मतदान करता है तो सदस्यता पाने का उसका प्रयास विफल हो जाएगा। बहरहाल, समूह के अधिकतर देशों ने भारत का समर्थन किया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि चीन के साथ ही तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड एनएसजी में भारत के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं।