परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की एंट्री के मसले पर चीन आए दिन रंग बदल रहा है। अब चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और अन्य गैर एनपीटी देशों को शामिल करने के मुद्दे पर एनएसजी सदस्यों के बीच वार्ता चल रही है, जबकि कल चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप की हो रही बैठक में भारत को सदस्यता देने का मुद्दा एजेंडे में शामिल नहीं है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि हमने किसी भी देश को टारगेट नहीं किया है, चाहे वह भारत हो या पाकिस्तान। हम लोगों की चिंता केवल परमाणु अप्रसार संधि से जुड़ी हुई है। यदि परमाणु अप्रसार संधि के नियम बदल दिए जाते हैं तो हम ईरान के साथ हुए न्यूक्लियर ट्रीटी की व्याख्या कैसे करेंगे?
चीन की ना नुकर को देखते हुए उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जून को उज्बेकिस्तान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे व एनएसजी सदस्यता के मसले पर चीन को मनाने का प्रयास करेंगे। वहीं मीडिया में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि चीन के रुख को देखते हुए एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए एनएसजी के बड़े और ताकतवर देश ‘प्लान बी’ पर भी काम कर रहे हैं।
‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक 9 जून को विएना में हुई बैठक में भारत का आवेदन स्वीकार कर लिया गया था। अर्थात भारत का आवेदन तकनीकी रूप से स्वीकार कर लिया गया था जिस पर सियोल बैठक में विस्तृत चर्चा होनी थी। लेकिन भारत का आवदेन स्वीकार कर लिए जाने के बाद चीन ने एनपीटी का मुद्दा उठाया। चीन ने कहा कि गैर-एनपीटी देशों को सदस्य बनाए जाने के लिए पहले आम सहमति पर पहुंचना होगा। दरअसल चीन चाहता है कि यदि भारत को एनएसजी की सदस्यता मिले, तो उसके करीबी मित्र पाकिस्तान को भी यह सदस्यता मिले, वर्ना भारत को भी सदस्यता न मिले।
चीन ने भारत को एनएसजी पर दिए जा रहे अमेरिका के समर्थन पर कहा कि अमेरिका ही वह देश है जिसने नियम बनाया है और बिना परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए किसी को एनएसजी में शामिल नहीं किया जा सकता है।
चीन ने आम सहमति का बहान भले बना दिया लेकिन उसके इस प्रयास के बावजूद 48 में से 29 देशों ने खुलकर भारत की सदस्यता का समर्थन किया। लेकिन चीन के रुख में कोई बदलाव न होता देख एनएसजी का मुखिया अर्जेंटीना, समूह के अन्य देशों के साथ मिलकर ‘प्लान बी’ तैयार करने में जुट गया। सूत्रों ने बताया कि ‘प्लान बी’ के तहत एक वर्किंग ग्रुप गैर-एनपीटी देशों को समूह में शामिल करने का एक खाका तैयार करेगा।