नृपेन्द्र कुमार मौर्य | navpravah.com
नई दिल्ली | इजरायल और ईरान के बीच तनावपूर्ण संबंध दशकों से चले आ रहे हैं लेकिन हालिया मिसाइल हमलों ने इस संघर्ष को और भी भड़का दिया है। 1 अक्टूबर को, ईरान ने इजरायल पर 180 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी, जिससे इजरायल को बड़ा नुकसान हुआ। इजरायल के डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया लेकिन कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य पर लगीं और विनाशकारी साबित हुईं। इस हमले के बाद इजरायल ने कसम खाई है कि वह इसका मुंहतोड़ जवाब देगा और विश्लेषक अब यह अनुमान लगा रहे हैं कि इजरायल के पास किस प्रकार के विकल्प हैं।
ईरानी सैन्य ठिकानों पर हमला-
सबसे प्रत्यक्ष और सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया यह हो सकती है कि इजरायल ईरान के उन सैन्य ठिकानों पर हमला करे, जहां से ये मिसाइलें दागी गईं। विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन करने वाली सुविधाओं और वायु रक्षा प्रणालियों को निशाना बना सकता है। इस तरह की कार्रवाई से इजरायल ईरान की मिसाइल प्रक्षेपण क्षमता को गंभीर रूप से कमजोर कर सकता है। अमेरिकी रक्षा विश्लेषकों ने यह भी सुझाव दिया है कि यदि इजरायल इस कदम पर आगे बढ़ता है, तो यह ईरान के लिए एक कठोर और निर्णायक प्रतिक्रिया होगी, जिससे उसके मिसाइल कार्यक्रम पर भारी प्रभाव पड़ेगा।
इसके अलावा, वाशिंगटन ने तेहरान पर यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल के लिए रूस को कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें सप्लाई करने का आरोप लगाया है। हालांकि दोनों देश इस आरोप को खारिज करते हैं लेकिन यह आरोप इजरायल के लिए और अधिक सैन्य कार्रवाई का बहाना बन सकता है।
परमाणु ठिकानों पर हमला-
इजरायल के लिए एक और महत्वपूर्ण विकल्प है ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला करना। ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई ठिकानों पर फैला हुआ है, जिनमें से कुछ गुप्त और भूमिगत हैं। अगर इजरायल इन परमाणु ठिकानों पर हमला करता है, तो यह ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को कमजोर कर सकता है। हालाँकि, यह एक जोखिमभरा कदम होगा, क्योंकि इससे ईरान और अधिक आक्रामक हो सकता है और परमाणु हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ईरान ने 2003 तक एक समन्वित परमाणु हथियार कार्यक्रम चलाया था। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि 2015 के परमाणु समझौते के टूटने के बाद ईरान कुछ ही हफ्तों में परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम का उत्पादन कर सकता है।
पेट्रोलियम उत्पादन पर हमला-
इजरायल की रणनीतिक प्रतिक्रिया में एक और विकल्प है ईरान के पेट्रोलियम उद्योग को निशाना बनाना। ईरान की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा उसके तेल निर्यात पर निर्भर है। अगर इजरायल इस क्षेत्र पर हमला करता है, तो यह ईरान की आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हालांकि, इसका असर केवल ईरान तक सीमित नहीं रहेगा। ऐसा कदम उठाने से ईरान सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में तेल उत्पादन स्थलों पर हमला करने के लिए प्रेरित हो सकता है, जिससे वैश्विक तेल कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी अमेरिका के लिए चिंता का विषय हो सकती है, खासकर जब 5 नवंबर को वहां राष्ट्रपति और कांग्रेस के चुनाव होने वाले हैं। बावजूद इसके, इजरायल के लिए यह एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रणनीति हो सकती है।
साइबर वॉर-
मिसाइल हमलों का जवाब केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा। इजरायल साइबर युद्ध के जरिये भी ईरान पर हमला कर सकता है। इजरायल की साइबर क्षमताएँ बहुत उन्नत मानी जाती हैं और इसकी खुफिया इकाई यूनिट 8200 साइबर युद्ध में विशेषीकृत है। ईरानी बुनियादी ढांचे पर साइबर हमला करके इजरायल ईरान को भारी नुकसान पहुंचा सकता है, बिना किसी प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई के।
इजरायल के पास ईरान को जवाब देने के लिए कई विकल्प हैं, जिनमें सैन्य हमले, परमाणु ठिकानों पर हमला, पेट्रोलियम ढांचे को निशाना बनाना, और साइबर वॉर शामिल हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इजरायल किस रणनीति को अपनाता है, क्योंकि यह संघर्ष केवल क्षेत्रीय नहीं है, बल्कि इसका वैश्विक प्रभाव भी हो सकता है।