सौम्य श्वेतांशु| navpravah.com
नई दिल्ली | सीरिया के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में इस्लामी विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों मे अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। इस हमले में अलेप्पो जो सीरिया का दूसरा सबसे बाद शहर है, समेत कई इलाकों पर विद्रोहियों द्वारा सेना को पीछे धकेल कर कब्जा कर लिया गया है और ये क्षेत्र पूरी तरह से सरकरी नियंत्रण से बाहर हो चुकी है । असद सरकार की सेना, जो पहले ही कई मोर्चों पर दबाव में थी, तेजी से पीछे हट गई। इसके साथ ही संघर्ष मध्य सीरिया के हमा क्षेत्र में पहुंच गया है, जहां विद्रोही और सरकारी सेना आमने-सामने हैं। हालत इतने संवेदनशील है की तेरह वर्षों से चले आ रहे इस संघर्ष मे पहली बार सीरिया की राजधानी दमिश्क शहर के विद्रोहियों के द्वारा ढह जाने का खतरा है, साथ ही साथ चौबीस वर्षों से सीरिया के सत्ता पे काबिज बशर अल असद के भी सत्ता से बेदखल होने के आसार है।
इस दौरान रूस, जो असद का मुख्य सहयोगी है, ने विद्रोही इलाकों पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। स्थिति बेहद अस्थिर है, और यह संघर्ष क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति के संदर्भ में कई सवाल खड़े करता है।
संघर्ष की जड़ें: गृह युद्ध से लेकर मौजूदा हालात तक
2011 में सीरिया में शुरू हुआ लोकतंत्र समर्थक आंदोलन असद सरकार के दमनकारी रवैये के चलते जल्द ही एक खूनी गृह युद्ध में बदल गया। यह संघर्ष न केवल सीरिया की सीमाओं तक सीमित रहा, बल्कि इसमें ईरान, रूस, अमेरिका, तुर्की और अन्य क्षेत्रीय ताकतें भी शामिल हो गईं।
अब तक 500,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, और 1.2 करोड़ लोग विस्थापित हो चुके हैं। इनमें से 50 लाख लोग शरणार्थी के रूप में दूसरे देशों में बसने को मजबूर हैं।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसा लग रहा था कि असद सरकार ने रूस और ईरान की मदद से स्थिति पर काबू पा लिया है। लेकिन उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र, विशेष रूप से अलेप्पो और इदलिब, अभी भी विद्रोही गुटों के नियंत्रण में हैं।
उत्तर-पश्चिमी सीरिया: विद्रोहियों का गढ़
सीरिया का उत्तर-पश्चिम इलाका उन लाखों विस्थापितों का घर है, जो देश के दूसरे हिस्सों में हिंसा से भागकर यहां आए थे। यह क्षेत्र आज विभिन्न विद्रोही गुटों के बीच बंटा हुआ है।
हयात तहरीर अल-शाम (HTS): मुख्य शक्ति
यह इस्लामिक चरमपंथी संगठन उत्तर-पश्चिमी सीरिया का सबसे ताकतवर गुट है। 2012 में अल-नुसरा फ्रंट के नाम से गठित इस संगठन ने 2016 में अल-कायदा से संबंध तोड़ लिया और खुद को अलग नाम दिया। हालांकि, इसे अब भी अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में देखा जाता है।
HTS ने इदलिब और अलेप्पो में अपनी शक्ति को मजबूत किया है और अन्य विद्रोही गुटों को किनारे कर दिया है। यह अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में “सीरियन सल्वेशन गवर्नमेंट” नामक प्रशासन चला रहा है।
तुर्की समर्थित विद्रोही गुट HTS के अलावा, तुर्की समर्थित “सीरियन नेशनल आर्मी” (SNA) भी इस क्षेत्र में सक्रिय है। इन गुटों को तुर्की की सैन्य सहायता प्राप्त है, जो अपने पड़ोसी सीरिया में स्थिरता के बजाय रणनीतिक नियंत्रण सुनिश्चित करने में अधिक रुचि रखता है।
हालिया हमला: कब और क्यों?
2020 में तुर्की और रूस के बीच हुए संघर्ष विराम के बाद इदलिब और अलेप्पो अपेक्षाकृत शांत थे। लेकिन अक्टूबर 2024 में स्थिति बदलने लगी।
HTS ने सरकार नियंत्रित क्षेत्रों में घुसपैठ की।
रूस ने महीनों बाद विद्रोही क्षेत्रों पर हवाई हमले किए।
ईरान समर्थित बलों ने ड्रोन हमले और बमबारी तेज कर दी।
1 दिसंबर 2024 को HTS और अन्य विद्रोही गुटों ने सरकार पर “आक्रमण रोकने” का आरोप लगाते हुए यह हमला किया। उन्होंने इसे सरकार और उसके सहयोगियों द्वारा उत्तरी क्षेत्रों में बढ़ते सैन्य दबाव का जवाब बताया।
सरकार और सहयोगियों की कमजोर स्थिति
इस हमले के समय असद सरकार और उसके सहयोगी कई अन्य संघर्षों में उलझे हुए हैं, जो सरकार की कमजोर स्थिति को उजागर करता है।
1. हिज़्बुल्लाह पर इजरायली हमले:
हिज़्बुल्लाह, जो असद सरकार के लिए शुरू से ही महत्वपूर्ण रहा है, इजरायल के बढ़ते हमलों के कारण कमजोर हो गया है। इजरायल ने हाल के महीनों में सीरिया में ईरानी आपूर्ति लाइनों और सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया है।
2. रूस की प्राथमिकता:
रूस, जो सीरिया में असद सरकार का सबसे बड़ा सैन्य समर्थन है, इस समय यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ है। इससे उसकी सीरिया में सक्रियता कम हो गई है।
3. ईरानी समर्थित बलों का कमजोर नेटवर्क:
ईरान समर्थित मिलिशिया, जो असद की जीत में निर्णायक रही है, अब आपूर्ति बाधाओं और अपने कमांडरों की हत्या के कारण कमजोर हुई है
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका और पश्चिमी देश
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने सभी पक्षों से हिंसा रोकने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। उनका कहना है कि इस संघर्ष का समाधान केवल “सीरियाई नेतृत्व वाले राजनीतिक समाधान” से ही संभव है।
तुर्की
तुर्की ने सरकार को अपनी जनता और वैध विपक्ष से सुलह करने की सलाह दी है। हालांकि, उसका ध्यान भी इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने पर है।
ईरान और रूस
ईरान और रूस ने विद्रोहियों को “आतंकवादी” करार देते हुए असद सरकार को अपना समर्थन दोहराया है।
मानवीय त्रासदी
इस संघर्ष के सबसे बड़े पीड़ित आम नागरिक हैं। हजारों परिवार पहले ही विस्थापित हो चुके हैं। अलेप्पो और इदलिब जैसे इलाकों में लोग बमबारी और हिंसा के बीच किसी सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं। भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी हालात को और बदतर बना रही है।
उत्तर-पश्चिमी सीरिया में यह संघर्ष केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं है। यह उन लाखों लोगों की तकलीफों का प्रतीक है, जिनका जीवन इस अस्थिरता और हिंसा के कारण बिखर चुका है।
यह स्थिति बताती है कि सीरिया का संघर्ष न केवल स्थानीय विवाद है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय शक्तियों और उनके हितों की बिसात पर लड़ी जा रही एक जटिल लड़ाई है। इस संघर्ष का अंत कब और कैसे होगा, यह कहना अभी भी मुश्किल है।