शिखा पाण्डेय,
इंडोनेशिया में कथित रूप से नशे की तस्करी में मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नागरिक गुरदीप सिंह को मौत की सज़ा नहीं दी गई है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि इंडोनेशिया में मादक पदार्थ मामले में भारतीय नागरिक गुरदीप सिंह, जिसे बीती रात मौत की सजा दी जानी थी, उन्हें मौत की सजा नहीं दी गयी है।
विदेश मंत्री ने ट्वीट कर बताया, “इंडोनेशिया में भारतीय राजदूत ने मुझे सूचना दी कि गुरदीप सिंह को मौत की सजा नहीं दी गई है,जिसकी मौत की सजा बीती रात के लिए तय थी।” हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि भारतीय नागरिक को मौत की सजा क्यों नहीं दी गयी जबकि चार अन्य दोषियों को ‘फायरिंग स्क्वाड’ द्वारा मौत की सजा दे दी गई।
गुरदीप इस समय नुसाकाबंगन पासिर पुतिह, सिलाकाप में हिरासत में है। उसे 29 अगस्त 2004 में सुकर्णो हत्ता हवाईअड्डे से मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इंडोनेशिया की एक अदालत ने सिंह को 300 ग्राम हेरोइन तस्करी करने के प्रयास का दोषी पाया था और उसे 2005 में मौत की सजा सुनायी थी। फरवरी 2005 में तांगेरांग अदालत ने उसे मौत की सजा सुनायी थी, जबकि अभियोजकों ने उसे 20 साल का कारावास देने का अनुरोध किया था। बानतेन हाईकोर्ट ने मई 2005 में मौत की सजा के खिलाफ उसकी अपील को खारिज कर दिया था। फिर उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिसने उसकी मौत की सजा बरकरार रखी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कल कहा था कि जकार्ता में भारतीय दूतावास के अधिकारी इस मुद्दे को लेकर इंडोनेशियाई विदेश विभाग और देश के शीर्ष नेताओं तक पहुंच रहे हैं। सुषमा ने कहा था कि सरकार सिंह को बचाने के लिए अंतिम क्षण का प्रयास कर रही है।
स्वरूप ने कहा कि सिंह के कानूनी प्रतिनिधि अफधाल मुहम्मद का मत था कि वह संबंधित कानून के तहत इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के समक्ष क्षमादान की याचिका दायर कर सकता है। दूतावास ने इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय को एक ‘नोट वर्बेल’ भेजकर आग्रह किया कि मौत की सजा से पहले सभी कानूनी उपाय अपनाए जाने चाहिए। अधिकारियों के मौत की सजा फिर से शुरू करने का निर्णय लेने के बाद गुरदीप ही नहीं,बल्कि इंडोनेशिया, नाइजीरिया, जिम्बाब्वे और पाकिस्तान के नागरिकों सहित 14 लोगों का नाम मौत की सजा की सूची में था।