Ratan Tata : भारतीय उद्योग जगत के शिखरपुरुष

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Ratan Tata : CNN पर प्रसारित एक कार्यक्र्म में एक पत्रकार ने रतन टाटा से सवाल किया कि आप भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों के सूची में नही है पर मुकेश अंबानी हैं। ऐसा क्यों?

उन्होंने बड़े सादगी और विनम्रता से जवाब दिया कि मुकेश अंबानी बिज़नेस मैन है और वे उद्योगपति…. मैं इस अंतर को काफी देर बाद समझ पाया। मैं अपने जीवन में तीन इंसान का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूँ। जिनमें से एक रतन नवल टाटा जी हैं। Most Valuable Group के मामले में टाटा समूह ने Microsoft और Google तक को पीछे छोड़ दिया है। टाटा समूह का मार्केट कीमत तकरीबन 11.42 लाख करोड़ हैं जबकि मुकेश अंबानी के रिलायंस की मार्केट कीमत 6-7 लाख करोड़ हैं। रतन टाटा की सादगी इसी बात से नजर आ जाती हैं कि मुकेश अम्बानी भारत के सबसे अमीर व्यक्ति हैं पर रतन टाटा नही ! टाटा ग्रुप ने व्यापार से पहले राष्ट्र को रखा और ऐसा कहना अनुचित न होगा कि उस राष्ट्रभक्ति की इमारत को मजबूत और खूबसूरत बनाने का काम रतन नवल टाटा ने किया। रतन टाटा से सभी भारतीय प्यार और आदर का भाव रखते हैं जबकि ऐसा भाव और किसी बिजनेसमेन के लिए नहीं। और वो खुद भी कहते हैं कि वो बिजनेस मेन नही हैं बल्कि उद्योगपति हैं।

उद्योग जगत में उनका कदम-

1971 में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियों और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड( नेल्को) का डायरेक्टर इन चार्ज नियुक्त किया गया, जो कम्पनी वित्तिय घाटा से जूझ रही थी। 1972 से 1975 तक नेल्को ने बाजार में अपनी हिस्सेदारी 20% तक बढ़ा ली तथा अपना वित्तिय घाटा को भी पूरा कर लिया।

वैश्विक बाजार में टाटा कंपनी का डंका बजना –

1991 में JRD टाटा के बाद टाटा सन्स की जिम्मेदारी का भार रतन टाटा को सौपी गयी। रतन टाटा ने अपना पूरा जीवन टाटा परिवार को समर्पित करते हुए टाटा को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में विश्व मे स्थापित किया। डच स्टील कंपनी कोरस का 2006 में अधिग्रहण किया और टाटा स्टील को विश्व के 10 स्टील कंपनी में ला खड़ा किया जहाँ वो विश्व के 50 कंपनियों में भी नही था। रतन टाटा ने 1998 में भारतीयों को पहला स्वदेशी कार दिया जिसका नाम इंडिका रखा लेकिन वो कार भारतीय लोगों के मापदंड पर खड़ा नही उतर सकी जिस कारण उन्हें घाटे का सामना करना पड़ा और उन्हें उस कार कंपनी को बेचने पर विवश होना पड़ा जिस सिलसिले में वो फोर्ड MD से मिले लेक़िन उनके व्यवहार को देख(रंगभेद) उन्होंने इरादा बदल दिया 2008 में फोर्ड की कंपनी लैंड रोबर और जैगुआर की वित्तिय हालात खस्ता होने के कारण रतन टाटा ने उसका अधिग्रहण किया….जो टाटा मोटर्स के लिए एक बूम साबित हुई तथा विश्व के ऑटोमोबाइल सेक्टर में टाटा मोटर्स का सिक्का स्थापित हुआ।

मेक इन इंडिया और इंडिया फ़र्स्ट में टाटा ग्रुप का अप्रतिम योगदान –

भारत के प्रधानमंत्री सुरक्षा के लिहाज़ से BMW कार इस्तेमाल करते थे लेकिन अब वे स्वदेशी के तर्ज पर टाटा मोटर्स की गाड़ी को अपने बेड़े में शामिल किया हैं जिस कारण अब आप प्रधानमंत्री मोदी को कई बार लैंड रोवर से भी सफर करते हुए देखा होगा । ये कार लैंड रोवर का आर्म्ड वर्जन है। सुरक्षा के लिहाज से ये कार काफी दमदार है. इस कार पर बम धमाकों और कैमिकल अटैक का भी असर नहीं होता है. लैंड रोवर सेंटिनेल में VR8 बैलिस्टिक सुरक्षा दी गई है. इस कार में 5.0-लीटर का सुपरचार्ज्ड V8 इंजन लगा है, जो 375bhp की पावर और 508Nm का टॉर्क जेनरेट करता है. इसका इंजन 8-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स से लैस है. कार की स्पीड 218 किलोमीटर प्रति घंटे है. इसकी कीमत करीब 3 करोड़ है। रतन टाटा के मार्गदर्शन में, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। TCS की मार्केट वेल्यू 109 बिलियन US डॉलर हैं जो विश्व के प्रतिष्ठित IT कंपनी में गिनी जाती है। TCS की स्थापना JRD टाटा ने किया लेकिन आज वो जिस मुक़ाम पे स्थापित है उसका श्रेय रतन टाटा को ही जाता हैं। इतना ही नही चीन का दबदबा खत्म करने के उद्देश्य से भारतीय सरकार के Product Linked Incentive Plan के तहद टाटा केमिकल्स लिमिटेड ने 10 गीगा वॉट का प्लांट गुजरात में स्थापित करने का निर्णय लिया जिसमे चार हजार करोड़ इन्वेस्टमेंट करने का ऐलान किया ताकि लिथियम बैटरी में भारत को आत्मनिर्भर बना सकें और पूरे विश्व मे चीन के दबदबे को खत्म कर सकें.. गोरेतलब है कि आने वाले समय मे इलेक्ट्रॉनिक कार का दौर होने वाला हैं। इलेक्ट्रॉनिक कार के दाम का 40% मूल्य सिर्फ़ लिथियम बैटरी का होता हैं। मौजूदा समय में पूरे विश्व मे लिथियम बैटरी का आपूर्तिकर्ता में चीन का दबदबा है।

कोविड महामारी की चुनौती का सामना –

रतन टाटा ने हमेशा भारतीय सरकार की मदद करने का भरपूर प्रयत्न किया. चाहें वो भारतीय सैनिक के लिए ट्रक का निर्माण हो, या तोप का हमेशा राष्ट्रीय मूल को प्राथमिकता प्रदान किया। अभी जब कोरोना वैश्विक महामारी का दौर है तब वैक्सीनेशन में सरकार के पास लोजीटिक्स एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी वो दूर-दराज (गाँव) मे वैक्सीन की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित करें? क्योंकि अधिकतर वैक्सीन को 2 से 8 डीग्री टेम्परेचर पर स्टोर कर के रखना होता है अन्यथा उसका प्रभाव खत्म हो जाता हैं, टाटा ने आगे आकर रेफ्रिजरेटर कंपनियों से टाईअप कर उन्नत किस्म के ट्रक का निर्माण किया जिससे भारतीय सरकार जल्द से जल्द अपने वैक्सिनेशन कर्यक्रम को सफल बना सकें और भारतीयों को सुरक्षित कर सकें।

टाटा ग्रुप चेरीटेबल संस्था के लिए पाथेय –

टाटा समूह के पास 96 कंपनी हैं लेक़िन उनमे से लिस्टेड 26 कंपनी हैं जिसे ऑपरेट करता हैं टाटा सन्स। टाटा सन्स के 66% शेयर टाटा के ही चैरिटेबल ट्रस्ट के पास है जो उस पैसे को चैरिटी में खर्च करती हैं। जहाँ तक शिक्षा का सवाल है, तो इस के लिए तो केवल टाटा मैक्ग्रा (Tata Mcgraw) का नाम लेने मात्र से ही इस क्षेत्र में टाटा समूह की सफलता को बयां किया जा सकता है। पर टाटा का शिक्षा से जुड़ाव केवल इस मशहूर प्रकाशन कंपनी तक ही सीमित नहीं है। अनेक सरकारी संस्थानों व कम्पनियों की शरुआत टाटा द्वारा ही की गयी, जैसे – भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) जहाँ से भारतीय वैज्ञानिकों की नई पौध तैयार की जाती हैं, टाटा मूलभूत अनुसंधान केन्द्र (Tata Institute of Fundamental Research), टाटा समाज विज्ञान संस्थान (Tata Institute of Social Sciences) और टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (Tata Energy Research Institute, होमी भाभा कैंसर अस्पताल सिंगूर पंजाब(Homi Bhabha cancer Hospital)। यहाँ तक की भारत की आधिकारिक विमान सेवा एयर इन्डिया का भी जन्म टाटा एयरलाइन्स के रूप में हुआ था। इसके अलावा टाटा मैनेजमेन्ट ट्रेनिंग सेन्टर, पुणे और नेशनल सेन्टर फार पर्फार्मिंग आर्ट्स भी ऐसे संस्थान हैं जिनका श्रेय टाटा समूह को दिया जाना चाहिए।

अतीत के झरोखो मे टाटा ग्रुप का उद्योग –

जमशेद जी टाटा ने 1877 में Empress Mill की स्थापना नागपुर में किया, जो एक टैक्सटाइल कंपनी थी। नागपुर से ही टाटा कंपनी का जन्म हुआ कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड की शुरूआत जमशेद जी टाटा के द्वारा ही एम्प्रेस मिल के कर्मचारियों के लिए की गई जिसे उस समय एक क्रांतिकारी कदम बताया गया क्योंकि उस समय यूरोप या लंदन की किसी कंपनी के कर्मचारियों के लिए ये व्यवस्था नही थी। 1893 में स्वामी विवेकानंद से Impress of India जहाज पर जमशेद जी की मुलाक़ात हुई तथा विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। उसी चर्चा से भारत में एक वैज्ञानिक संस्थान का होना कितना अनिवार्य है उभर केर आई । इसका ऐहसास जमशेद जी को हुआ और इसके निर्माण को वह दृढ़संकल्पित हुए, लेक़िन इस संस्था के निर्माण में सरकारी स्तर पर काफी बाधाओं का सामना करना पड़ा सबसे बडी दुखद समस्या जमशेद जी की मृत्यु थी। 1909 में जमशेदजी के ज्येष्ट पुत्र दोराब जी टाटा ने Indian Institute Of Science, Bengaluru का निर्माण कर सरकार के हाथ मे सौप दिया। 1920 और 1924 Olympic Games में आर्थिक संकट के बावजूद भारतीय डेलिगेशन को खुद के खर्चे पर भाग लेने भेजना भी टाटा समूह का एक साहसिक निर्णय था जिसका हम सभी भारतीय आदर पूर्वक सम्मान करते हैं, तभी हम कहते हैं राष्ट्रीय हित को टाटा ने सर्वोपरि रखा हैं।

सिनेमा के शुरुआती दौर के प्रणेता नुमाइर भाई ने अपनी पहली फिल्म का पिरिमियम बम्बई के आलिशान बुडसें होटल में 7 जुलाई 1896 को आयोजित किया, इसे देखने मात्र अंग्रेज लोग आए थे क्योंकि होटल के दरवाज़े पर एक तख्तियां लगी होती थी “भारतीय और कुत्ते को अंदर इजाज़त नही हैं” ! जमशेद जी को भी प्रवेश नही मिला जिससे वो काफी आहत हुए। महज़ दो साल बाद वोडसें होटल के ठीक सामने ताज का निर्माण चालू हुआ और 16 दिसम्बर 1903 को मुंबई के मस्तक में चार चांद लगते ताज होटल को भारतीय के लिए खोल दिया गया जो किसी मायने में भी यूरोप के किसी पाँच सितारा होटल से कम नही था.। उस समय ताज के दरवाज़े पर एक तख्तियां लटकी हुई होती थी ” ब्रिटिश और बिल्लियां अंदर नही आ सकती” ! अपने पाठक को याद दिला दु कि बुड्से होटल आज के समय में ओबेराइ होटल से जाना जाता है।

बिनोबा भावे का भू दान योजना और टाटा ग्रुप –

पंचगनी में खुद के लिए खरीदा हुआ बंगला हॉस्पिटल के लिए दान में दे दिया तथा विनोवा भाबे के भूदान आंदोलन में भी कुछ भूमि का दान किया। दोराब जी टाटा के पत्नी के मृत्यु के पश्चात लेडी टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की नींव रखी, जो आज के प्रसिद्ध टाटा केंसर हॉस्पिटल में गिना जाता हैं जहां देश भर के मरीज के साथ साथ पाकिस्तान, बंगालदेश, अफ्रीका एवं अन्य देशो से केंसर से पीडित मरीज आते है और सस्ती और विश्व स्तरीय इलाज कि सुविधा प्राप्त करते है।

रतन टाटा का निजी जीवन-

निजी जीवन मे अगर झाँके तो रतन टाटा का एक और उदात्त चरित्र नजर आता है। आपका बचपन दुख मे ही बीता। माता पिता का अलग रहना और दादी की परवरिशमें बढ़ना और बाद में दत्तक पुत्र बनना जीवन का सुखद अध्याय तो बिलकुल नही था। हारवर्ड में बिज़नस स्टडीज के दौरान एक सुंदर लड़की से प्रेम पाना और फ़ीर सदा के लिए जुदा हो जाना बहुत कष्टकर रहा होगा। तमाम परेशानी और जीवन के झ्ंजावत उनके फौलादी आत्मबल को डिगा नही सका। स्त्री प्रेम से ऊपर उन्होने बृध् और बीमार दादी की सेवा को वरीयता दी। जिसका जिक्र उन्होंने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से किया है । वो कहते है कि अगर मेरी दादी की तबियत नासाज न होती तो मैं 1962 में भारत नही आता और मैं भी शादी-शुदा होता… रतन टाटा LA(USA) में ही जॉब कर रहे थे वहीं घर बसाये होते।

रतन टाटा जी का भारतीय उद्योग जगत में कद –

कुछ दिन पूर्व की ही घटना हैं जब इंफ़ोसिस के संस्थापक और अध्यक्ष नारायण मूर्ति रतन टाटा को लाइफ टाइम अचिएवमेंट अवार्ड फॉर चेंजीग बिज़नस लेंडस्केप पुरुस्कार प्रदान कर रहे थे उनका फ़ोटो और वीडियो वायरल हुआ। इस कार्यक्र्म की विशेषता यह थी जब रतन टाटा को नारायण मूर्ति पुरुस्कार प्रदान करते हैं तो मूर्ति जी सबसे पहले रतन टाटा का चरण स्पर्श करते हैं। व्यवसाय जगत में इस तरह की परिपाटी देखने को नही मिलती. वो हैंड शेक और हग करतें हैं लेकिन भारतीय मूल्य को इन दोनों जीवित धरोहर ने जीवंत बना दिया. मूर्ति जी के नजर में रतन टाटा क्या है उस सुखद दृश्य ने बता दिया। टाटा परिवार (पारसी परिवार) ने हमेशा राष्ट्र की उन्नति को सर्वोपरि रखा स्वाभिमान को झुकने न दिया। हम भारतीय कभी टाटा के ऋण को उतार नही पाएंगे। मेरे नजर में भरतीय संस्कृति और मुल्यों को धारण कर आगे बढ्ने वाला यह समूह अन्यत्र दुर्लभ हैं। इस ग्रुप के वर्तमान चेयरमेन इमेरिटस रतन टाटा को आप लिविंग लिजेंड कहे या लिविंग ट्रेजर अथवा दोनों कहना उनकी क्षमता योग्यता और प्रतिभा का एक परिचय भर है। वे भारतीय उद्योग जगत के लिए शिखर पुरुष और उनकी उपलब्धि मील का पत्थर ।

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