सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में एक बार फिर कोई बदलाव नहीं किया गया है।
आरबीआई ने रेपो रेट को 6 फीसदी पर बरकरार रखा है। सस्ते कर्ज के लिए अभी आम आदमी को फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा।
एमपीसी की तरफ से रेपो रेट में कटौती न किए जाने के लिए महंगाई को जिम्मेदार बताया है। एमपीसी ने कहा है कि महंगाई को 4 फीसदी के दायरे में बांधे रखने के लिए और ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए यह फैसला लिया है। आरबीआई ने महंगाई के अनुमान में बदलाव कर दिया है, उसने कहा है कि दिसंबर और मार्च की तिमाही में महंगाई 4.3 से 4.7 फीसदी के बची रहेगी। अक्टूबर की मीटिंग में एमपीसी ने इसे 4.2 से 4.6 की रेंज में रहने का अनुमान लगाया था।
आरबीआई ने कहा कि हाल के दिनों में सब्जियों के दाम में काफी बढ़ोत्तरी हुई है, हालांकि आने वाले वक्त में इससे थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। दालों की कीमत भी कम होने लगी हैं, जीएसटी परिषद ने भी कई उत्पादों के रेट घटाकर कम कर दिया है। बता दें, रिवर्स रेपो रेट वह रेट होता है, जिस पर देश का केंद्रीय बैंक बैंकों से लोन लेता है, आसान शब्दों में कहें तो जिस तरह आप बैंक से लोन लेने पर इस पर ब्याज चुकाते हैं, उसी तरह आरबीआई भी बैंकों से पैसे लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि देता है, रेपो रेट जितना ज्यादा होगा, बैंकों को उतना ज्यादा फायदा मिलेगा।
रेपो रेट को बढ़ाने से महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है, दरअसल जब भी रेपो रेट बढ़ता है, तो ऐसे में बैंक आरबीआई से कम कर्ज लेते हैं, इससे इकोनॉमी में मनी सप्लाई में कमी आती है और महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है। आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में कोई बदलाव न करने से सस्ते कर्ज का इंतजार और बढ़ गया है, इसके बाद अब सीधे फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग होनी है, कर्ज सस्ते होने की उम्मीद अब फरवरी तक लटक गई है।