अनुज हनुमत | navpravah.com
चित्रकूट | आम जनमानस की शिक्षा से जुड़ी एक बड़ी शिकायत यह रहती है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती और प्राइवेट स्कूलों में फीस बहुत महंगी होती है। इसके पीछे का बड़ा कारण शिक्षा के निजीकरण यानी प्राइवेटाइजेशन को माना जाता है। लोगों की शिकायत यह भी रहती है कि नेता और अधिकारी तो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं और जिन सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की उनकी जिम्मेदारी है, उसमें वो घोर लापरवाही करते हैं। ऐसे लोगों के बीच उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में तैनात एक पीसीएस अधिकारी ने बेहतरीन मिसाल कायम की है।
चित्रकूट जिले के मऊ तहसील के SDM सौरभ यादव ने अपनी बेटी का दाखिला प्राइवेट और महंगे स्कूल में कराने की जगह एक सरकारी स्कूल में कराया है। एसडीएम सौरभ यादव ने अपनी बेटी का एडमिशन मऊ तहसील के इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय छिवलहा में करवाया है। बेटी का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराकर यह साफ कर दिया कि शिक्षा का लेवल स्कूल की बिल्डिंग या फीस से तय नहीं होता। शिक्षा शिक्षक, विद्यार्थी और व्यवस्था पर निर्भर करती है। उनकी बेटी अब मऊ के एक सामान्य सरकारी स्कूल में सभी सामान्य बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाई करती हैं।
मऊ एसडीएम सौरभ यादव ने नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क से ऑफ कैमरा बताया कि हम अगर चाहते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बेहतर हो तो सबसे पहले हमें खुद उस व्यवस्था का हिस्सा बनना होगा। जब अफसरों और आम जनता के बच्चे एक साथ पढ़ेंगे तभी असली समानता आएगी। उनका ये भी कहना है कि सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई अच्छी होती है।
मऊ एसडीएम की ये सोच समाज को आइना दिखाती है। आमतौर पर अधिकारी अपने बच्चों को महंगे अंग्रेज़ी मीडियम स्कूलों में पढ़ाना अपनी प्रतिष्ठा मानते हैं। सौरभ यादव जैसे अफसर इस तरह की मानसिकता को चुनौती दे रहे हैं। उनका यह कदम यह भी साबित करता है कि सरकारी स्कूलों में योग्यता की कोई कमी नहीं है। जरूरत है तो बस समाज के भरोसे और सहयोग की।
स्कूल के अध्यापक ने नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क को जानकारी देते हुए कहा कि तहसील मऊ के एसडीएम की बच्ची का एडमिशन हमारे यहां क्लास एक में हुआ है। उनकी बच्ची सामान्य बच्चों की तरह एक साथ क्लासरूम में बैठकर सभी बच्चों के साथ पढ़ाई करती है। उनकी बच्ची के एडमिशन होने के बाद लोग अब और जागरूक हो रहे हैं और अपने बच्चों का एडमिशन करवाने के लिए हमारे विद्यालय में आ रहे हैं।