अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु समझौते की समीक्षा की मांग की थी और परमाणु समझौते से हटने की धमकी दी थी। जिसके बाद ट्रंप की बात पर टिप्पणी करते हुए ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनका देश जिस भी देश से परमाणु समझौता करेगा, उनकी शर्तों का ‘आखिरी सांस’ तक पालन करेगा, अगर अमेरिका ने ये समझौता तोड़ा तो उसे पछताना पड़ेगा।
रूहानी ने कहा कि भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश है, लेकिन अब तक यह सबसे ताकतवर देशों के क्लब का सदस्य क्यों नहीं है? 130 करोड़ की आबादी वाले भारत के पास वीटो का अधिकार क्यों नहीं है? क्योंकि जिनके पास परमाणु हथियार है, उन्हें वीटो अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि ट्रंप द्वारा मोलभाव का समय अब नहीं रह गया है और समझौते पर हस्ताक्षर के बाद इस पर विचार करना हास्यास्पद लग रहा है और परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमेरिका केवल ईरान से ही व्यवहार नहीं कर रहा, बल्कि इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अगर समझौता टूटता है, तो अमेरिका को पछताना पड़ेगा और उस देश के लोग ही इसको लेकर चिंता जताएंगे। ईरान और अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन व जर्मनी के बीच यह समझौता 2015 में हुआ था।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को लेकर कुछ आपत्तियां जताई थी। इस समझौते जेसीपीओए के तहत पिछले महीने उन्होंने ईरान के खिलाफ प्रतिबंध उठा लिये और चेतावनी भी दी कि यदि समझौते में मौलिक बदलाव नहीं किया गया, तो यह इस तरह का आखिरी कदम होगा