“पिछड़ते पाकिस्तान की वैश्विक दुर्गति के लिए जिम्मेदार कौन!”

रत्नेश मिश्रा | Navpravah Desk

जहां भारत समेत पूरी दुनिया एक अत्यंत खतरनाक लाइलाज बीमारी , कोरोना संक्रमण से जूझ रही है जिससे पाकिस्तान भी अछूता नहीं है, ऐसी अवस्था में भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ़ साजिश रचने की अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

शुरुआती दिनों में जब कोरोना त्रासदी चीन से होते हुए पूरी दुनिया में फैल रही थी तब यूरोपीय और अमरीकी देशों ने इस वायरस को अत्यंत गंभीरता के साथ नहीं लिया जिसका दुष्परिणाम इन देशों को देखने को मिला। जिसे देखते हुए भारत सरकार ने तत्काल 136 करोड़ की विशाल आबादी को देखते हुए बहुत जल्द महत्वपूर्ण फैसले लिए, ताकि भारत की इस विशाल आबादी को संक्रमण से बचाया जा सके। इन प्रयासों की तारीफ स्वयं WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) ने भी की। मजबूत इच्छाशक्ति रखने वाली भारत सरकार ने तत्काल चीन समेत दुनिया के कई देशों में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए “मिशन वंदे मातरम” शुरू किया। जिसके तहत दुनिया भर के देशों में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को बचाया गया। भारत सरकार के द्वारा अपने नागरिकों को वापस लाने की इस मुहिम को देखकर दूर देशों में फंसे हुए पाकिस्तानी नागरिकों को भी अपने देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भी बहुत उम्मीद जगी। बदले में इमरान खान ने पाकिस्तानी नागरिकों को बचाने से यह कहकर इनका कर दिया कि, ‘इस समय जब चीन भयंकर बीमारी से जूझ रहा है, ऐसे में हम अपने परम मित्र चीन को अकेला कैसे छोड़े!’ अर्थात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों से साफ साफ कहा कि जो जहां है वहीं रहे और चीन के प्रति पाकिस्तान की मित्रता के प्रति कायम रहे। असल में ऐसा कह कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपनी असमर्थता को छुपाने का प्रयास किया।

दरअसल पाकिस्तान के अंदरूनी आर्थिक हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पाकिस्तान सरकार किसी भी तरह से अपने विदेशों में फंसे हुए 28000 से भी अधिक नागरिकों को ला पाने में असमर्थ है। पाकिस्तान के अंदर इतनी भी क्षमता नहीं कि वह अपनी विमानों में इंधन तक भरवा सके। इसी कारण से पाकिस्तान अपने नागरिकों को बचा नहीं पा रहा है। विदेशों में फंसे हुए नागरिकों को तो छोड़िए पाकिस्तान ने चीन से अपनी मित्रता के चलते आने-जाने वाले किसी भी व्यक्ति को पाकिस्तान में घुसने तक से नहीं रोका, जिस कारण पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी के साथ फैला।

इसका एक प्रमुख कारण पाकिस्तान और चीन का ड्रीम प्रोजेक्ट CEPC (China–Pakistan Economic Corridor) भी है, जिसके चलते पाकिस्तान और चीन दोनों के ही अरबों रुपए इसमें फँसे हुए हैं। इसीलिए पाकिस्तान ने चीन से आने-जाने वाली किसी भी नागरिक को नहीं रोका जो पाकिस्तान में संक्रमण के तेजी से फैलने का प्रमुख कारण है।

दूसरी वजह यह है कि पाकिस्तान POK अर्थात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर अपना सम्पूर्ण आधिपत्य जमाने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान इसके लिए बड़ी तेजी के साथ पाक सेना से रिटायर हो चुके अपनी कई अधिकारियों और सैनिकों को PoK में बसाकर पाकिस्तान की डेमोग्राफ़ी चेंज करने का प्रयास कर रहा है। साथ ही पाकिस्तान की सरकार CEPC प्रोजेक्ट में लगे हुए कई श्रमिकों को भी PoK में बसा रहा है। पाकिस्तान PoK के नागरिकों के लाख विरोध के बावजूद भी कई चीनी कंपनियों को PoK की जमीन लीज़ पर दे रहा है।

“इसके साथ-साथ पाकिस्तान जानबूझकर PoK में कई कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भी ला रहा है ताकि वहाँ के असल नागरिकों को दबाकर, डरा-धमका कर PoK को पाकिस्तान का हिस्सा बना सके। पाकिस्तान की चालबाजी इतने में ही नहीं रुक रही है। पाकिस्तान कोरोनावायरस त्रासदी के दौरान भी भारत के खिलाफ नई-नई साजिशें रचने से बाज नहीं आ रहा, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण अभी हाल ही में देखने को मिला, जहां एक तरफ पूरी दुनिया इस भयंकर बीमारी से लड़ने का प्रयास कर रही है, इलाज खोजने का प्रयास कर रही है वहीं पाकिस्तान भारत के खिलाफ तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग भारत के खिलाफ सभी देशों को भ्रमित करने और झूठ फैलाकर भारत को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। हाल ही में भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क की ऑनलाइन बैठक के दौरान भी, पाकिस्तान ने इस मंच का उपयोग भारत से अपनी निजी दुश्मनी को दिखाने के लिए किया।”

इस सम्मेलन में भारत समेत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बर्मा, मालदीव आदि देशों के प्रधानमंत्री सम्मिलित हुए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस सम्मेलन की अहम ऑनलाइन बैठक में सम्मिलित नहीं हुए और अपनी जगह मंत्रिमंडल के किसी अन्य नेता को भेजा। उस नेता ने भी कोरोना की बीमारी से निबटने के लिए आयोजित की गई इस ऑनलाइन सभा में भी दक्षिण एशियाई देशों के सामने कश्मीर का रोना रोने के अलावा और कुछ भी नहीं किया। इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने संयम का परिचय देते हुए पाकिस्तान के मंत्री को टोका तक नहीं और उसको अपनी पूरी बात कर लेने दी। अगर भारत के प्रधानमंत्री चाहते तो वह उसी समय पाकिस्तान को ऑफलाइन कर सकते थे जो कि उन्होंने बिल्कुल नहीं किया। हालांकि पाकिस्तान का कोरोना आपदा से निपटने के लिए बुलाई गई सार्क देशों की इस ऑनलाइन मीटिंग में भारत के खिलाफ अपनी साजिश भी काम नहीं आयी और एक बार फिर से पाकिस्तान को मुह की खानी पड़ी। फिर भी पाकिस्तान अन्य कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग, भारत के खिलाफ साजिशें रचने में इस्तेमाल करता आया है। अभी हाल ही में पाकिस्तान ने कोरोनावायरस से अपने देश को बचाने के लिए अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए, इस्लामिक देशों के संगठन से आर्थिक सहायता मांगी और दूसरी तरफ भारत के खिलाफ सभी इस्लामिक देशों को भड़काने का भी प्रयास किया। पाकिस्तान ने सभी इस्लामिक देशों को भारत के खिलाफ ‘इस्लामोफोबिया’ के नामपर डराने का प्रयास किया। इसके लिए पाकिस्तान ने अपने देश में बनाए गए झूठे प्रोपेगेंडा वीडियोज़ और झूठे सोशल नेटवर्किंग साइट्स के पेजेस का इस्तेमाल, भारत को बदनाम करने कि नीयत से किया। पाकिस्तान में बने, यमन की राजकुमारी के फ़र्ज़ी फेसबुक अकाउंट के माध्यम से भारत में इस्लामोफोबिया का डर दिखाने का प्रयास किया। हालांकि पाकिस्तान की यह साजिश भी नाकाम हो गई जब स्वयं यमन की राजकुमारी ने इस बात का खंडन कर दिया। पाकिस्तान ने भारत में कोरोना काल के दौरान भारतीय मुसलमानों के प्रति भी प्रोपेगैंडा फैलाया। बीजेपी की हिंदूवादी आरएसएस की विचारधारा वाली सरकार भारत के मुसलमानों पर धार्मिक अत्याचार कर रही है, ऐसा झूठ भी फैलाने का प्रयास किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी के अनुसार, “भारत में मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है, उन्हें धार्मिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है और हॉस्पिटलों में सही तरीके से इलाज नहीं किया जा रहा है। उन पर झूठी एफआईआर दर्ज कराई जा रही हैं, मारा-पीटा जा रहा है।” पाकिस्तान के मंत्री ने ऐसी बातों करके मुस्लिम देशों के संगठनों को भ्रमित करने का प्रयास किया। हालांकि भारत सरकार ने पाकिस्तान की इस झूठी चाल चलने नहीं दी और कुछ ही घंटों के अंदर पाकिस्तान के इस झूठ का पर्दाफाश किया।

गौरतलब यह है कि पाकिस्तान असल में क्या चाहता है! एक तरफ जहां पूरी दुनिया इस संक्रमण से जूझ रही है, वहीं पाकिस्तान ऐसी अवस्था में भी भारत के खिलाफ साजिशें कैसे रच सकता है इसका एक और उदाहरण देखने को हाल ही में मिला जब पाकिस्तान कोरोना संक्रमण को भी भारत के खिलाफ एक जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भारतीय मीडिया जी न्यूज के हवाले से प्राप्त हुआ है। ज़ी न्यूज़ चैनल के मुताबिक भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चल रहे आतंकी , शिविर में से एक आतंकवादी की अपने पिता से की जा रही ऑडियो टेप इंटरसेप्ट की। इसमें एक पाकिस्तानी आतंकवादी अपने पिता से फोन पर बातचीत में कह रहा है कि, “पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई उन्हें भारत में घुसपैठ कराने की तैयारी कर रही है। यहां मेरी तबीयत ठीक नहीं है, मेरे कई साथी कोरोना से संक्रमित हैं। हमें पाकिस्तान की सेना, सरकार और आईएसआई एजेंसी ने कोई भी दवाई उपलब्ध नहीं कराई है। इसके अलावा वह हमें भारत में घुसपैठ कराने की ट्रेनिंग और हथियार मुहैया करा रहे हैं।” इस ऑडियो टेप के भारत सरकार के हाथ लगने से, पूरी दुनिया के सामने फिर से पाकिस्तान बेनकाब हुआ है। पूरी दुनिया यह जान चुकी है कि, पाकिस्तान ऐसी विषम परिस्थिति में भी भारत के खिलाफ साजिश रचने से बाज नहीं आ रहा है।

पाकिस्तान भारत को क्षति पहुंचाने चोट पहुंचाने के लिए किसी भी हद से गुजर जाने को तैयार रहता है। हालांकि पाकिस्तान कितना भी प्रयास क्यों ना कर ले, भारतीय सेना उसके इन प्रयासों को हमेशा की तरह विफल करती रहेगी।

भारत सरकार और भारतीय सेना, एलाइट मोड पर है ताकि किसी भी कीमत पर संक्रमण से ग्रस्त कोई भी आतंकी सरहद के इस पार न आने पाए। क्योंकि पाकिस्तान कहीं ना कहीं चाह रहा है कि भारत में बैठे हुए चंद पाकपरस्त लोग, इन आतंकवादियों की मदद करेंगे। निश्चित रूप से संक्रमित आतंकवादियों द्वारा इन लोगों की मदद करने वाले व्यक्तियों को वह संक्रमित करेंगे। इस प्रकार पाकिस्तान भारत में कोरोनावायरस को सामुदायिक संक्रमण का रूप देने का प्रयास करना चाह रहा है। लेकिन पाकिस्तान की यह चाल भी नहीं चलने वाली क्योंकि भारत का कोई भी नागरिक पाकिस्तान के किसी भी आतंकवादी को ऐसी किसी भी प्रकार की मदद नहीं देने वाला। आतंकी रियाज नाइकू के मारे जाने के बाद पाकिस्तान को यह बात समझनी चाहिए कि ऐसी विषम परिस्थिति में भी भारत के खिलाफ साजिश रचने से वह अपने देश को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचा नहीं सकता। पाकिस्तान के नागरिकों को यह बात समझनी चाहिए इस समय भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने में ही पाकिस्तान की भलाई है। मुसीबत की इस घड़ी में चीन पर भरोसा करके पाकिस्तान ने बहुत बड़ा धोखा खाया है। जिस चीन के मत्थे पाकिस्तान, भारत को उंगली दिखाने का प्रयास करता है, उसी चीन ने पाकिस्तान को, सबसे बड़ा धोखा दिया है। पाकिस्तान में कोरोना से लड़ने के लिए चीन से जो किट मांगी थी वह पूरी तरीके से एक्सपायर्ड और इस्तेमाल की हुई थी। पाकिस्तान की सरकार ने बिना देखे इन्हें देश के तमाम हॉस्पिटलों तक हस्तांतरित कर दिया। पैकेट खोले जाने पर चीन के इस धोखे का पता चला जिसमें एक्सपायर्ड दवाइयां, नकली पीपीई किट निकलीं, और अंतर्वस्त्र से बने हुए मास्क पाए गए। इस धोखे के बावजूद भी भारत से अपनी दुश्मनी के चलते पाकिस्तान सरकार यह नहीं समझ पा रही कि इस विपदा की घड़ी में उसके परम मित्र चीन से ज्यादा मददगार सिर्फ भारत ही हो सकता है। ऐसे में पाकिस्तान की जनता को चाहिए कि वे अपनी कठपुतली इमरान खान सरकार को कहे कि, वह भारत से मदद मांग ले जिससे भारत बिना देरी किए मानवता के आधार पर पाकिस्तान की मदद कर सके। यदि पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो निश्चित रूप से पाकिस्तान को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता। पाकिस्तान अपनी बर्बादी के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा। अब पाकिस्तान के ऊपर निर्भर करता है कि वे भारत से मदद मांगे या ना मांगे लेकिन भारत विरोधी मानसिकता से ग्रसित पाकिस्तान की सरकार ऐसा करेगी या नहीं, इसका फैसला पाकिस्तान की कठपुतली इमरान खान सरकार ना करके, पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ कई आतंकवादी संगठन मिलकर करेंगे। क्योंकि इमरान खान इनके हाथों की एक कठपुतली मात्र है।

असल फैसला लेने का अधिकार पाकिस्तान की सेना और आईएसआई एजेंसी को ही है। पाकिस्तान के आर्थिक हालात इतने अच्छे नहीं है कि वह अपने बलबूते पर इस बीमारी से लड़ सके और स्वयं को बचा सके। पाकिस्तान सरकार ने प्रयास तो किया, अपने देश में संक्रमण को फैलने से रोकने का, परंतु पूरी तरीके से नाकामयाब हुए। क्योंकि स्वयं इमरान खान नेशनल टेलीविजन पर आकर कह चुके हैं, ‘एक तरफ अगर हम लोगों को कोरोना से बचाते हैं तो दूसरी तरफ लोग भूख से ही मर जाएंगे।’ अर्थात इमरान खान सरकार के पास अपनी जनता को बचाने के कोई ठोस नियम या उपाय नहीं है।

दरअसल पाकिस्तान की जनता भी इमरान खान सरकार के बनाए गए नियमों की अनदेखी कर रही है, और कहती है, ‘कोरोना वायरस से मरे या ना में भूख से जरूर मरेंगे।’ इतना ही नहीं इमरान खान यह जानते हुए भी कि यह वायरस इंसान से इंसान में फैलता है, और इसके लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करना बहुत जरूरी है, के बावजूद लोगों को सामूहिक रूप से एकत्रित होने से रोक पाने में नाकाम सिद्ध हो रही है। इसका उदाहरण रमजान के पवित्र महीने में कठपुतली इमरान खान सरकार ने अपने देश के कट्टर मानसिक विचारधारा वाले मौलानाओं के दबाव में आकर देश की सभी मस्जिदों को खोल दिया है। जिससे भारी मात्रा में भीड़ एकत्रित होने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। जिस कारण पूरे देश में संक्रमण ज्यादा तेजी के साथ फैल सकता है।

यह बात जानते हुए भी स्वयं इमरान खान सरकार ने कट्टरवादी ताकतों के आगे झुक कर इस बात की इजाजत दे दी। इमरान खान स्वयं ये जानते हैं कि, जब हम इलाज ही नहीं कर सकते तो स्क्रीनिंग करने या क्वारंटाइन सेंटर बनाने का खर्चा ही क्यों उठाया जाए। इसी के जवाब में इमरान खान सरकार ने 80 एकड़ का एक विशालकाय कब्रिस्तान बना दिया है। उन्हें पता है कि हम कुछ भी कर लें , हम पूरे तरीके से पाकिस्तान को कोरोनावायरस से मुक्त नहीं कर सकते और शायद यही कारण है कि भारत से अपनी नफरत के चलते पाकिस्तान हर हाल में भारत के ख़िलाफ़ साजिशें रचने से और अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

यह आज से नहीं बल्कि जब से पाकिस्तान का जन्म हुआ है, वह भारत को किसी न किसी तरीके से चोट पहुंचाने का प्रयास करता ही रहा है और मुह की खाता रहा है। अभी भी समय है, पाकिस्तान समझे कि यह समय भारत से नफरत का नहीं बल्कि भारत जैसे अत्यंत जिम्मेदार देश से, अपने देश के हालात को देखते हुए मदद मांगे। ऐसा करके पाकिस्तान की इमरान खान सरकार अपने देश के अस्तित्व को खत्म होने से बचा सकती है। भारत उसकी मदद मानवता के आधार पर करेगा। यदि वक्त रहते पाकिस्तान कोरोना संक्रमण पर लगाम नहीं लगा पाता है तो एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में लगभग डेढ़ करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएंगे और, पहले से ही गरीबी से जूझ रहे पाकिस्तान में तकरीबन 7.30 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ जाएंगे।

( लेखक समाजसेवी, स्तंभकार, व राजनीतिक जानकार हैं, उक्त लेख उनके निजी विचार हैं।)

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