शिखा पाण्डेय । Navpravah.com
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी पनडुब्बी द्वारा दागे गए टारपीडो से नष्ट हुए अमेरिकी युद्धपोत ‘ यूएसएस इंडियानापोलिस’ का मलबा अब जाकर प्रशांत महासागर में 18 हजार फीट गहराई में मिला है। यह युद्धपोत उस परमाणु बम की सामग्री देने के बाद वापस लौट रहा था, जिसे बाद में जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराया गया था, लेकिन जापानी पनडुब्बी ने 30 जुलाई 1945 को इसे उत्तर प्रशांत महासागर में टारपीडो से निशाना बनाया था।
खोजकर्ताओं के अनुसार फिलीपीन सागर में सतह से 5.5 किलोमीटर नीचे इस जहाज़ का मलबा मिला। इस खोज दल का नेतृत्त्व प्रसिद्ध माइक्रोसाफ्ट कंपनी के सह संस्थापक मार्क ऐलन ने किया। उल्लेखनीय है कि यह युद्धपोत हमले के बाद अगले 12 मिनट में डूब गया था और इसमें सवार 1196 लोगों में से मात्र 316 को पांच दिनों बाद जीवित निकाल लिया गया था, जबकि अन्य लोगों की मौत समुद्र में निर्जलीकरण,डूबने और शार्क के हमलों की वजह से हुई थी।
वाशिंगटन स्थित नेवल हिस्ट्री एंड हैरिटेज कमांड के अनुसार इस युद्धपोत ने कोई आपात सिग्नल भी नहीं भेजा था और उस समय संपर्क समाप्त हो जाने के कारण इसकी स्थिति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी। अमेरिकी नौसेना के एक इतिहासकार ने 2016 में अंतिम समय में इस युद्धपोत के बारे में जानकारियों को एकत्र करने के आधार पर इसके डूबने के संभावित स्थानों का पता लगाने की कोशिश की थी। इसके बाद मार्क ऐलन की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्रशांत महासागर के लगभग 40 किलोमीटर के क्षेत्र में महीनों तक रह कर इसकी खोज की।
मार्क एलन की टीम ने शुक्रवार को फिलीपींस समुद्र के आसपास गहरे क्षेत्र में इसका मलबा खोज लिया और कल इस संबंध में अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी। इस बीच अमेरिकी नौसेना ने एलन को इस युद्धपोत से जुड़ी सभी जानकारियों को गुप्त रखने को कहा है। मार्क ऐलन ने इस खोज को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह उन नाविकों के लिए सम्मान की बात है जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्व में अहम भूमिका निभाई थी।
उन्होंने बताया कि इस युद्धपोत की पहचान इतनी गहराई में होने के बाद भी आसानी से हो गई और इसके मलबे पर इंडियानापोलिस का नाम और निशान साफ दिखाई दे रहा था। इस संबंध में उन्होने कई फोटो भी दिखाए हैं। नेवल हिस्ट्री एंड हैरिटेज कमांड के प्रवक्ता पॉल टेलर ने बताया कि यह बहुत ही दुलर्भ होता है कि इतने वर्षों बाद भी मलबे पर युद्धपोत का नाम साफ दिखाई देता हो और अगर यह इंडियानापोलिस नहीं है, तो फिर वह नहीं जानते कि यह क्या है। इस बीच नौसेना ने कहा है कि उन जीवित बचाए गए नाविकों में से 22 अभी भी जीवित हैं और नौसेना ने उन्हें सम्मानित करने की योजना बनाई है।