सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
पाकिस्तान ने देश के अंदर बढ़ते भुगतान संतुलन संकट से निपटने की खातिर ‘बेलआउट पैकेज’ के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का रूख करने की कल घोषणा की।
आईएमएफ से संपर्क करने का निर्णय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लिया है, हालांकि, खान ने देश की अर्थव्यवस्था को सहायता पहुंचाने के लिए इस तरह के कदमों का अतीत में विरोध किया था।
इसी साल 31 मई को आई रिपोर्ट में कहा गया था कि, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली हो रहा है, एक आंकड़े के मुताबिक, पाकिस्तान के पास अब सिर्फ 10.3 अरब डॉलर यानी 69,504 करोड़ रुपए का ही विदेशी मुद्रा भंडार है।
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान के पास जितनी विदेशी मुद्रा है, वो ज्यादा से ज्यादा 10 हफ्तों तक के आयात के बराबर है, फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे उसमें भी गिरावट आई है।
विश्व बैंक ने अक्टूबर 2017 में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि, उसे कर्ज भुगतान और चूला खाता घाटे को पाटने के लिए इस साल 17 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी, हालांकि, पाकिस्तान ने इस पर तर्क दिया था कि विदेशों में बसे अमीर पाकिस्तानियों को अगर अच्छे लाभ का लालच दिया जाए तो वो अपने देश की मदद कर सकते हैं।
अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद में अमेरिका ने भारी कटौती की है, रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ अमरीका के रिश्ते पूरी तरह से पटरी से उतर गए हैं।