सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
बचपने में बरती गई स्वास्थ्य संबंधी कुछ लापरवाही लोगों को भविष्य में घातक बीमारियों से जूझने के लिए मजबूर कर देती है, इन्हीं लापरवाहियों में एक लापरवाही हेपेटाइटिस के वैक्सिनेशन को लेकर भी है।
अभिभावकों की लापरवाही के चलते हेपेटाइटिस के वैक्सिनेशन से महरूम रहे बच्चों को वयस्क अवस्था में कैंसर जैसी घातक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
हेपेटायटिस का वायरस बेहद धीमी गति से लीवर को अपना शिकार बनाता है, युवा अवस्था में हेपेटाइटिस के वायरस का असर नजर नहीं आता है, क्योंकि, शरीर में मौजूद ताकत हेपेटाइटिस वायरस के प्रभाव को दबाकर रखती है।
जब-तक किसी शख्स को इस बीमारी के बाबत पता चलता है, तब-तक बहुत देर हो चुकी होती है, समय पर हेपेटाइटिस के वैक्सिनेशन के जरिए लिवर के कैंसर से बचा जा सकता है, वहीं किसी कारण से कभी ब्लड ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया से गुजरने वाले लोगों को भी हेपेटाइटिस के वायरस के प्रति सचेत रहना चाहिए।
शरीर में मौजूद हेपेटाइटिस का वायरस सीधे लीवर पर अटैक करता है, जिसके चलते, लीवर में सूझन आ जाती है. युवा अवस्था में शरीर में मौजूद ऊर्जा के चलते ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके चलते, कई सालों तक वायरस के चलते लीवर में सूझन आने और सूझन खत्म होने की प्रक्रिया लगातार चलती रही है, यही सिरोसिर भविष्य में कैंसर में तब्दील हो जाता है।