अनुज हनुमत,
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के पुरजोर प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। समझा जा रहा है कि उन्होंने इस बाबत चीन का समर्थन मांगा। इस कदम को प्रक्रिया बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत ने चीन से कहा है कि वो न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की उसकी सदस्यता पर ‘न्यायपूर्ण’ और ‘निष्पक्ष’ रवैया अख़्तियार करे। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शि जिनपिंग से मुलाक़ात में कहा कि चीन को इस मामले में निष्पक्ष रवैया अपनाने की ज़रूरत है। दोनों नेताओं की बैठक गुरुवार को ताशकंद में हुई। दक्षिण कोरिया के सियोल में शुक्रवार से एनएसजी देशों की बैठक हो रही है, जिसमें भारत को समूह में शामिल किए जाने की बात पर ग़ौर किया जाएगा।
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नरेंद्र मोदी की हाल की अमरीका यात्रा में भारत की सदस्यता को अपनी मंज़ूरी दे दी थी। चीन उन राष्ट्रों में से है, जो एनएसजी में भारत को शामिल किए जाने का विरोध कर रहा है। वो पाकिस्तान को भी इस ग्रुप का सदस्य बनाए जाने के पक्ष में है।
विकास स्वरूप से जब पूछा गया कि मोदी के आग्रह पर चीनी राष्ट्रपति की क्या प्रतिक्रिया रही तो उन्होनें कहा कि ये एक मुश्किल भरा सौदा है और फ़िलहाल वो इससे ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहेंगे।
भारत के एनएसजी में प्रवेश के प्रयासों पर अपने विरोध का स्पष्ट संकेत देते हुए चीन ने कल एनएसजी के सदस्यों के बीच मतभेदों को रेखांकित करते हुए कहा था, ‘‘पक्षों ने अभी इस मुद्दे पर आमने-सामने बातचीत नहीं की है।’’ भारत और पाकिस्तान की सदस्यता के मुद्दे पर चीन ने कहा था कि यह मामला पूर्ण सत्र के एजेंडा में नहीं है। यहां भी बीजिंग ने दोनों पड़ोसी देशों के परमाणु अप्रसार के ट्रैक रिकॉर्ड के अंतर के बावजूद उन्हें एक साथ करके देखा।
एससीओ के शिखर-सम्मेलन के साथ ही आज दक्षिण कोरिया की राजधानी में एनएसजी का दो दिवसीय पूर्ण अधिवेशन शुरू हुआ जिसमें परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के भारत के आवेदन पर विचार-विमर्श हो सकता है।