सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
फिल्म इंडस्ट्री से ‘मी टू’ अभियान की शुरुआत होने के बाद इसकी चपेट में मीडिया जगत भी आ गया है और इसकी लपटें मोदी सरकार के एक मंत्री पर भी आ गयी हैं, मोदी सरकार के केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर दो महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
पत्रकार प्रिया रमानी द्वारा विदेश राज्य मंत्री एम.जे.अकबर पर आरोप लगाने के एक दिन बाद, उनकी पूर्व सहयोगी प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने भी उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने 9 अक्टूबर को रमानी और न्यूज पोर्टल फर्स्टपोस्ट में एक अनाम लेखिका के ट्वीट पर आधारित खबर चलाई थी, संयोग की बात है कि अकबर द टेलीग्राफ के संस्थापक संपादक रह चुके हैं।
वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अकबर के विरुद्ध लगे आरोपों पर मीडिया को कोई जवाब नहीं दिया है, पत्रकारों ने उनसे जब जोर देकर पूछा कि क्या इस मामले में कोई जांच होगी, तो वह बिना उत्तर दिए वहां से चली गईं।
बता दें कि, प्रिया रमानी ने 6 अक्टूबर को ट्वीट किया था कि, ‘आखिर एमजे अकबर की बारी कब आएगी.’ जल्द ही मेरे दोस्तों और एशियन एज- जहां 1994 में इंटर्न के तौर पर मेरे जुड़ने के वक्त एमजे अकबर संपादक थे, मेरे सारे पुराने सहकर्मियों ने मुझसे संपर्क करना शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा कि, तुम अकबर के बारे में अपनी कहानी क्यों नहीं लिखती हो? मैं इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थी कि क्या दो दशक से ज्यादा वक्त गुज़र जाने के बाद ऐसा करना सही रहेगा, लेकिन जब ऐसे संदेश आते रहे, तब मैंने इसके बारे में सोचा।
वहीं कुछ लोगों ने कहा कि, हो सकता है कि मेरी कहानी कुछ दूसरों को भी अपना सच बताने का हौसला दे, इसलिए मैंने अपनी कहानी बताने का फैसला लिया।
मैंने ‘जर्नलिस्ट’ बनने का फैसला तब ही कर लिया था, जब मैं इसकी स्पेलिंग भी नहीं जानती थी, लेकिन अकबर की किताबों से मेरा सामना होने के बाद मेरी इच्छा, जुनून में तब्दील हो गई थी।
जब 1994 में मुझे एशियन एज के दिल्ली दफ्तर में नौकरी मिली, अकबर अपनी विद्वता को हल्के में लेते थे, कुछ ज्यादा ही हल्के में लेते थे, वे दफ्तर में चिल्लाया करते, गालियां देते और शराब पीते थे, एक सीनियर ने मेरी खिंचाई करते हुए हुए कहा, तुम कुछ बिल्कुल छोटे शहरवाली ही हो।
मैंने लोगों को एशियन एज के दिल्ली ऑफिस को अकबर का ‘हरम’ कहकर पुकारते सुना- वहां जवान लड़कियों की संख्या पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा थी, मैं अक्सर सब संपादकों-रिपोर्टरों के साथ उनके अफेयर की चर्चाएं भी सुना करती थी और यह भी कि एशियन एज के हर क्षेत्रीय ऑफिस में उनकी एक गर्लफ्रेंड है।
लेकिन एशियन एज में मेरे तीसरे साल में मैं इस ‘ऑफिस कल्चर’ से अछूती नहीं रह सकी, उनकी निगाह मुझ पर पड़ी और इस तरह बुरे सपने सरीखे उस दौर की शुरुआत हुई।
मेरी डेस्क बदलकर उनके केबिन के ठीक बाहर कर दी गई, जो दरवाजा खुलने पर उनकी डेस्क के ठीक सामने पड़ती, इस तरह कि अगर उनके कमरे का दरवाजा थोड़ा-सा भी खुला रह जाए तो मैं उनके सामने होती थी।
उसके बाद मेरी साफ दिख रही बेबसी से प्रोत्साहित होकर उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाना शुरू कर दिया, वे ऐसाी बातचीत करते, जो निजी किस्म की होती, अश्लील होती थी।
1997 को एक रोज़ जब मैं आधा उंकड़ू होकर डिक्शनरी पर झुकी हुई थी, वे दबे पांव पीछे से आए और मुझे कमर से पकड़ लिया, मैं डर के मारे खड़े होने की कोशिश में लड़खड़ा गई. वे अपने हाथ मेरे स्तन से फिराते हुए मेरे नितंब पर ले आए. मैंने उनका हाथ झटकने की कोशिश की, लेकिन झटक नहीं पायी।
दरवाजा न सिर्फ बंद था, बल्कि उनकी पीठ भी उसमें अड़ी थी, ख़ौफ के उन चंद लम्हों में हर तरह के ख्याल मेरे दिमाग में दौड़ गए, आखिर उन्होंने मुझे छोड़ दिया, मैं उनके केबिन से भागते हुए निकली और वॉशरूम में जाकर रोने लगी।
अगली शाम उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया. मैंने दरवाजा खटखटाया और भीतर दाखिल हुई, वे दरवाजे के सामने ही खड़े थे और इससे पहले कि मैं कोई प्रतिक्रिया दे पाती, उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपने शरीर और दरवाजे के बीच जकड़ लिया।
मैंने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुझे पकड़े रखा और मुझे चूमने के लिए झुके, मैंने पूरी ताकत से अपना मुंह बंद किए हुए, अपने चेहरे को एक तरफ घुमाने के लिए जूझ रही थी, ये खींचातानी चलती रही, मुझे कामयाबी नहीं मिली।
फिर जिंदगी आगे बढ़ती गयी और ये बात पुरानी होती गयी, आंखों से ओझल होती गयी, ये मेरे लिए एक बुरा सपना या बुरी जिंदगी से कम नहीं था, #Mee too कैमरन की वजह से आज मैं अपनी बात सबके सामने बेबाकी से रख पा रही हूं।