भीमा कोरेगांव मामला : निर्णय को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों में मतभेद

भीमा कोरेगांव मामलों में भी जुदा दिखी सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय
भीमा कोरेगांव मामलों में भी जुदा दिखी सुप्रीम कोर्ट के जजों की राय
सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के संबंध में हस्तक्षेप करने से आज इंकार कर दिया है, यही नहीं, न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन से भी इंकार कर दिया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में इन कार्यकर्ताओं की तुरंत रिहाई की मांग करने वाली याचिका को ठुकरा दिया गया है, लेकिन न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ ने इससे असहमति व्यक्त करते हुए अलग फैसला सुनाया है।
इस केस में न्यायमूर्ति ए. एम खानविलकर ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और अपनी ओर से बहुमत का निर्णय सुनाया, लेकिन ने इससे असहमति व्यक्त करते हुए अपने निर्णय में अलग राय दी है।
उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव केस में सुनवाई करते हुए मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजरबंदी को 4 सप्‍ताह के लिए बढ़ा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने से इनकार कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि आरोपी खुद जांच एजेंसी नहीं चुन सकते हैं।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर आरोपियों को राहत चाहिए तो उन्‍हें ट्रायल कोर्ट जाना होगा, न्‍यायालय ने मामले की एफआईआर रद्द करने से भी मना कर दिया, साथ ही पुणे पुलिस को मामले की जांच आगे बढ़ाने को कहा है।

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