ज्योति विश्वकर्मा | Navpravah.Com
स्टारकास्ट : अनुष्का शर्मा, वरुण धवन, रघुवीर यादव
डायरेक्टर : शरत कटारिया
जॉनर : कॉमेडी, ड्रामा
रेटिंग : 2*
अनुष्का शर्मा और वरुण धवन की फिल्म सुई धागा फाइनली आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। डायरेक्टर शरत कटारिया ‘दम लगाके हईशा’ के बाद फिर से देसी कहानी लेकर लौटे. ‘दम लगाके हईशा’ में एक अलग ही दुनिया रचने वाले शरत कटारिया ‘सुई धागा ‘ में वो पैनापन नहीं ला सके, जिसकी उम्मीद उनसे की जा रही थी। ‘सुई धागा’ साल 2014 में सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान पर आधारित है, जिसका उद्देश्य देश के स्वदेशी कपड़ा उद्योगों को बढ़ावा देना है।
स्टोरी :
‘सुई धागा’ की कहानी दरजी मौजी (वरुण धवन) और उसकी कढ़ाई में माहिर पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) की है। मौजी किसी दूसरे के यहां काम करता है, जहां हर बात पर उसका मजाक बनाया जाता है, और एक दिन मौजी कि ऐसी दुर्गति होती है कि ममता को गुस्सा आ जाता है। ममता मौजी से अपने पांव पर खड़े होने के लिए कहती है, और फिर मौजी-ममता का संघर्ष शुरू हो जाता है। लेकिन मौजी की जिंदगी में कुछ भी ठीक होना नहीं लिखा है, कोई न कोई पंगा होता रहता है। फिर हमेशा कोसने वाला पिता है और बीमार रहने वाली मां भी है। फिल्म में इन दोनों के किरदारों के बीच बिना रोमांस के भी प्यार दिखाई देता है। इस दौरान उनकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते हैं लेकिन निम्नमध्यवर्गीय परिवार के जोड़े अंत: अपनी मंजिल पाने में कामयाब हो जाता हैं।
एक्टिंग :
एक्टिंग की बात करे तो वरुण धवन की एक्टिंग फिल्म में कबीले-तारीफ है। वरुण धवन ने पूरी ईमानदारी के साथ अपना किरदार निभाया है लेकिन कमजोर कहानी उन्हें कैरेक्टर के साथ इंसाफ नहीं करने देती है। हालांकि कई सीन्स में उनके पंच मजेदार हैं। जबकि अनुष्का ने भी आसानी से अपने कैरक्टर को जी लिया है। साधारण साड़ी और कम मेकअप में अनुष्का हमेशा अपना किरदार जी जाती हैं। सपॉर्टिंग किरदारों में रघुवीर यादव आपको मौजी के पिता के रूप में जरूर इम्प्रेस करेंगे। मौजी की मां के रूप में आभा परमार को देखना भी सुखद है क्योंकि वह स्क्रीन पर हर समय अपने किरदार के साथ न्याय करती हैं।
सॉन्ग्स :
फिल्म का गाना पहले से लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। फिल्म में निम्नमध्यवर्गीय परिवार के बीच रोज होने वाली झिझक और रोमांस आपको बीच बीच में हंसने के लिए विवश कर देंगे। फिल्म का संगीत और गाने कहानी से जुड़ते दिखाई देते हैं। हालांकि फिल्म कभी-कभी इतनी सीरियस तो कभी काफी बोर कर सकती है।
डायरेक्शन :
डायरेक्टर शरद कटारिया ने फिल्म को काफी रियल रखा है। फिल्म के फर्स्ट हाफ में सारे किरदार अपनी समस्याओं के साथ स्थापित हो जाते हैं। डायलॉग्स को ऐसे अंदाज में लिखा गया है जो रोजाना कि समस्या के बीच भी आपको गुदगुदाते हैं। फिल्म उपदेश देती हुई नहीं दिखती है और आपको अंत का अंदाजा भी नहीं लगता है। हालांकि फिल्म कभी-कभी इतनी सीरियस हो जाती है कि बोर करने लगती है। फिर भी अच्छी कहानी और अनुष्का-वरुण की बेहतरीन ऐक्टिंग के लिए आप इस फिल्म को देख सकते हैं।
आपको फिल्म सुई धागा कैसी लगी हमें कमेंट कर बताए ?