शिखा पाण्डेय । Navpravah.com
आपने कहावत तो सुनी होगी, ‘राजा को पता नहीं, मुसहर वन बाँट खाये’। फिलहाल यही हाल है भारत की परमाणु गतिविधियों पर अमेरिका की पैनी नज़रों का। दुनिया के परमाणु कार्यक्रमों पर नज़र रखने वाले अमरीका के दो अग्रणी परमाणु विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि भारत की परमाणु तैयारियों के निशाने पर अब पाकिस्तान नहीं, बल्कि चीन है। इसीलिए भारत अपने परमाणु हथियारों का लगातार आधुनिकीकरण और विस्तार कर रहा है। भारत के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि उसने परमाणु बम बनाने में इस्तेमाल होने वाला लगभग छह सौ किलोग्राम प्लूटोनियम तैयार कर लिया है। परमाणु वैज्ञानिकों का मानना है कि इतना प्लूटोनियम 150-200 बम बनाने के लिए पर्याप्त है।
डिज़िटल जर्नल ‘आफ़्टर मिडनाइट’ में छपी इस रिपोर्ट में हैन्स एम क्रिस्टेंसेन और रॉबर्ट एस नौरिस ने बताया है कि भारत अब लंबी दूरी तक मार करने वाली एक ऐसी परमाणु मिसाइल बनाने में व्यस्त है, जिससे वह दक्षिण भारत से चीन के किसी भी क्षेत्र को निशाना बना सकता है। इन दोनों विशेषज्ञों का कहना है, ”परमाणु बम गिराने वाले लड़ाकू विमानों और मिसाइलों के बारे में उपलब्ध जानकारी के आधार पर हमारा यह अनुमान है कि भारत ने 120 से 130 की संख्या में परमाणु बम बना रखे हैं।”
अमरीका के इन परमाणु विशेषज्ञों ने इस लेख में लिखा है कि भारत का परमाणु कार्यक्रम पारंपरिक रूप से पाकिस्तान को परमाणु हमले से रोकने पर केंद्रित रहा है, लेकिन भारत अब जिस तरह परमाणु कार्यक्रम का विस्तार और आधुनिकीकरण कर रहा है, उससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि उसकी प्रथामिकता अब चीन पर केंद्रित हो रही है।
जर्नल के अनुसार भारत अब अलग-अलग दूरी तक मार करने वाली कई परमाणु मिसाइलें बनाने में लगा है, लेकिन उन्हें परमाणु बमों से लैस करने के लिए उसे और अधिक बम बनाने होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि कलपक्कम परमाणु प्लांट के इंदिरा गांधी सेंटर फ़ॉर एटॉमिक रिसर्च में फ़ास्ट ब्रीडर रिएक्टर बनने से भविष्य में परमाणु बम में इस्तेमाल होने वाले प्लूटोनियम तैयार करने की भारत की क्षमता में काफ़ी वृद्धि होगी।
हैन्स एम क्रिस्टेंसेन और रॉबर्ट एस नौरिस ने इस लेख में लिखा है कि परमाणु बम गिराने के लिए भारत के पास इस समय सात तरह की रक्षा प्रणाली इस्तेमाल में हैं। इनमें दो युद्धक विमान ‘जगुआर’ और ‘मिराज 2000’ हैं। इसके अलावा भारत ने अलग-अलग दूरी के लिए ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली चार बैलिस्टिक मिसाइलें बना रखी हैं। एक बैलिस्टिक मिसाइल समुद्र के नीचे पनडुब्बी से लॉन्च की जाती है। पृथ्वी-2, अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 परमाणु हथियारों की क्षमता वाली मिसाइलें हैं और ये पहले से ही भारतीय सेना के पास हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत अग्नि-4 के कई परीक्षण कर चुका है और यह जल्द ही उपयोग में आने के लिए तैयार हो जाएँगी। ये बैलिस्टिक मिसाइल 3500 किलोमीटर की दूरी तक निशाना साध सकती है। भारत के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में इसे तैनात किए जाने से बीजिंग और शंघाई सहित पूरा चीन इसकी रेंज में होगा।
भारत का रक्षा अनुसंधान संस्थान डीआरडीओ पांच हज़ार किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली इंटरकॉन्टिनेन्टल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 भी तैयार कर रहा है। हमले के लिए अधिक दूरी की क्षमता होने के कारण अग्नि-5 को भारत के दक्षिण राज्यों में तैनात किया जा सकता है,जहां से वह चीन के किसी भी क्षेत्र को निशाना बना सकता है और साथ ही वह चीन के जवाबी हमले से भी काफ़ी दूर होगा।