सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
डोकलाम को लेकर भारत के साथ चल रही तनातनी के बीच चीन अब इस मसले पर नेपाल को अपने साथ लाने की कोशिश में जुट गया है। इसी के तहत चीनी राजनयिकों ने नेपाली अधिकारियों को इस मुद्दे पर अपना पक्ष बताया है।
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया कि डोकलाम मुद्दे पर चीन के मिशन उपप्रमुख ने अपने नवनिर्वाचित नेपाली समकक्ष के साथ शिष्टाचार भेंट में डोकलाम मुद्दे पर चर्चा की और इसे लेकर चीन के रुख से अवगत कराया है। भारत बातचीत के जरिये डोकलाम मसला हल पर जोर दे रहा है, वहीं चीन इस बात पर अड़ा है कि डोकलाम मुद्दे पर किसी भी तरह की अर्थपूर्ण वार्ता के लिए भारत को पहले वहां से अपने सैनिक हटाना होगा।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और नेपाल के अफसरों के बीच काठमांडू और बीजिंग में भी ऐसी ही बैठकें हुई हैं, यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि भारत इस मसले को ट्रैक-2 डिप्लोमेसी के जरिये भी सुलझाने की कोशिश कर रहा है। नेपाल के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने का चीन का यह फैसला दो वजहों से अहम माना जा रहा है। पहला तो यह कि भारत इस विवादित क्षेत्र में चीन और नेपाल के साथ ट्राइजंक्शन शेयर करता है, वहीं दूसरी वजह यह है कि भारत बीते कुछ वक्त से पड़ोसी मुल्क नेपाल पर प्रभाव बनाए रखने को लेकर संघर्ष कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में अपनी चीन यात्रा के दौरान लिपुलेख पास के जरिये चीन के साथ व्यापार बढ़ाने का फैसला लिया था, इस कदम को लेकर नेपाल में काफी नाराजगी देखने को मिली थी और वहां संसद में मांग उठी कि भारत-चीन संयुक्त बयान में लिपुलेख का जिक्र हटाया जाए, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है। नेपाली संसद ने यह भी जानना चाहा था कि क्या यह समझौते नेपाल की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमतर तो नहीं कर रहा।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि भारत और चीन के बड़े नेता इस महीने नेपाल की यात्रा करने वाले हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जहां BIMSTEC की बैठक के लिए अगले हफ्ते काठमांडू जाएंगी, वहीं, चीन के उप प्रधानमंत्री वांग यांग भी 14 अगस्त को शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने नेपाल में होंगे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सुषमा और यांग, दोनों ही डोकलाम विवाद पर चर्चा करेंगे।