न्यूज़ अपडेट | Navpravah Desk
अमेरिका के मेसेचुसेट्स राज्य की राजधानी बोस्टन में एक अस्पताल में बतौर नर्स काम करने वाली कॉलीन ओ’रैली ने ने अपने सोशल मीडिया फेसबुक प्रोफाइल पर एक मार्मिक पोस्ट किया है।
दरअसल कॉलीन का एक कोरोना पीड़ित मरीज ऑक्सीजन न ले सकने के कारण मर गया, जिसके बाद नर्स उसकी मृत्यु से बेहद आहत हो गई। अपनी इस पोस्ट में उस मरीज़ की मनोव्यथा और अपनी सम्वेदनाओं को जाहिर किया है, जिसे हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। साथ ही उन्होंने संकट की इस घड़ी में ईश्वर के प्रति आभारी रहते हुए अपने घरों में ही रहने की अपील भी की है।
कॉलीन लिखती हैं कि, ” मैं तीन सप्ताह से COVID यूनिट के साथ हूँ बतौर ट्रैवेल नर्स। लेकिन पिछले दिनों जो कुछ भी घटा उससे मेरा मन बड़ा व्यथित है। मैं बिल्कुल अच्छा महसूस नहीं कर रही हूँ। इसलिए मैंने ये निश्चय किया कि गत दिनों जो कुछ बीता है वो मैं अबके साथ साझा करुँगी।
बुधवार रात 55 वर्ष के एक बुज़ुर्ग व्यक्ति मेरी निगरानी में थे, मुझे उनका ख़याल रखना था। वे बड़े खुशमिजाज़ व्यक्ति थे। गुरूवार को सुबह उन्होंने मुझे पास बुलाया और कहा कि वायदा करो कि तुम मुझे नाश्ते के अलावा कुछ बढ़िया चीज़ खिलाओगी। उनकी बातों से यह झलक रहा था कि वो अंडे से आजिज़ आ चुके हैं। साथ ही वे सफ़ेद चावल से भी बेहद चिढ़े हुए थे। उस समय वे बेहद खुश थे। मैं बाकी के जाँच पड़ताल में जुट गई तभी मैंने महसूस किया कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी और कुछ ही समय बाद उन्हें भारी मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ गई।
दूसरी रात जब मैं अस्पताल पहुंची तो मैंने देखा कि बुज़ुर्ग और अधिक दिक्कत में आ गए थे और उनसे बिल्कुल सांस नहीं लिया जा रहा था। लगभग 7 बजे उनकी स्थिति गंभीर होने लगी थी और मैंने देखा कि लगभग आधे घंटे बाद ही ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया और उनकी हृदय गति धीमी पड़ने लगी।
हमें अपने काम पर गर्व होता है इसलिए भी कि सबसे गंभीर अवस्था में भी हमें लोगों की सेवा का अवसर मिलता है। इसलिए मुझे लगता है कि यदि आप इसे मुश्किल समय में किसी के काम आ सकें तो वह आपका सौभाग्य है। लेकिन इस बार मुझे अपनी स्थिति और पाबंदियों से बड़ी तकलीफ हुई। एक ही कमरे में मुझे मिलाकर तीन स्वास्थ्यकर्मी थे लेकिन मजबूरी ऐसी कि हममे से कोई भी इस प्राण त्यागते बुज़ुर्ग व्यक्ति की सहायता नहीं कर सका। मैं चाहती थी कि मैं अपना दस्ताना उतारकर इस बुज़ुर्ग का हाथ थाम लूँ। मैं रो पड़ी लेकिन कुछ कर न सकी।
यह बुज़ुर्ग व्यक्ति पिछले छः दिनोंसे अस्पताल में था। जिस संकट से पूरा विश्व जूझ रहा है , इसमें किसी भी रोगी को पूरी तरह से शारीरिक संपर्क में आने पर पांबंदी है। ऐसे समय में कोई भी अस्पताल में मरीज को देखने नहीं आ सकता। मरीज किसी को छू नहीं सकता। ये बुज़ुर्ग पिछले ६ दिनों से बिल्कुल तनहा था अपने अंतिम दिनों में मजबूरी में ही सही लेकिन ऐसा बर्ताव हुआ जैसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।
मेरी हमेशा ये कोशिश होती है कि जो भी पेशेंट मेरी निगरानी में रहे मैं हर संभव उसकी मदद कर सकूँ। उसको एक बच्चे, दोस्त या एक थेरेपिस्ट कि तरह उसका ख्याल रख सकूँ लेकिन इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर पाई। मैं बेहद भावुक हूँ इस समय, क्योंकि मैं मशीन नहीं हूँ। न तो मरीज जानवर है न ही स्वास्थ्यकर्मी रोबोट।
जो हाल है उसको देखते हुए मैं लोगों से यही विनती करती हूँ कि कृपा करके आप सभी अपने घरों में रहें। क्वारंटाइन कर लें स्वयं को अपने आशियाने में। हम इस संकट से उबर सकते हैं लेकिन इसके लिए खुद हमें ख्याल रखना होगा। ईश्वर का आशीष हमपर बना रहे। आप सभी अपना ख्याल रखें।”