बातचीत के लिए सैनिकों को वापस बुलाए भारतः चीनी मीडिया

सौम्या केसरवानी । Navpravah.com

सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में चीन के साथ तनातनी को खत्म करने के लिए विदेश मंत्रालय की ओर डिप्लोमेटिक चैनल के इस्तेमाल की बात कहने पर चीन की सरकारी मीडिया ने शनिवार को कहा कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है।

चीन की स्टेट काउंसिल के तहत काम करने वाली और आधिकारिक प्रेस एजेंसी सिन्हुआ के एक लेख में कहा गया है कि चीन के लिए सीमा रेखा ही बॉटम लाइन थी। ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन की सरकारी मीडिया ने इस वाक्य का प्रयोग किया है, पिछले सप्ताह भी सिन्हुआ और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अखबार पीपुल्स डेली ने इसका प्रयोग किया था।

एक लेख के मुताबिक, ‘डोकलाम क्षेत्र से सेना वापस बुलाने की चीन की मांग को भारत लगातार अनसुना कर रहा है, हालांकि चीन की बात नहीं मानना महीनों से चल रहे इस गतिरोध को और बिगाड़ेगा ही और बाद में भारत के लिए शर्मिंदगी का विषय बन जाएगा।’ दक्षिणी पूर्वी कश्मीर के इस हिस्से में भारत, पाकिस्तान और चीन की सीमाएं तकरीबन मिलती हैं। राजनयिक प्रयासों से दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष को सुलझा लिया गया था, हालांकि इस बार पूरा मामला अलग है।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच मौजूदा गतिरोध पिछले तीन दशकों का सबसे लंबा गतिरोध माना जा रहा है। 18 जून को शुरू हुए इस गतिरोध पर बीजिंग ने कहा था कि दिल्ली ने सीमा समझौते का उल्लंघन किया है। भारतीय सैनिक सीमा पार कर अवैध तरीके से डोकलाम इलाके में घुस आए और चीनी सैनिकों द्वारा बनाई जा रही सड़क के निर्माण को रोक दिया।

सिन्हुआ के मुताबिक, भारत ने पहली बार दोनों देशों के बीच सीमा समझौते का उल्लंघन किया है, कई बार विरोध प्रदर्शन जताने के बाद भी चीन को अपने प्रयासों में असफलता मिली है। भारत को यह पता होना चाहिए कि डोकलाम में उसका ठहराव अवैध है और इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी सेना वहां रूकी रहेगी। लेख में विदेश सचिव एस जयशंकर के हालिया बयान का भी जिक्र है, जिसे सकारात्मक दिखाया गया है। यह कहता है, ‘जैसा कि एक पुरानी चीनी कहावत है, शांति सबसे कीमती चीज है, यह नोट करने वाली बात है कि भारत के विदेश सचिव सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने हाल ही में सिंगापुर में इस मसले पर सकारात्मक टिप्पणी की।

सिन्हुआ ने अपने लेख में भारत में चीन विरोधी भावनाओं का भी जिक्र किया है। लेख के मुताबिक, हाल के सालों में भारत के राष्ट्रवादी समूहों ने चीन विरोधी भावनाओं को भड़काया है, भारत-चीन सीमा पर जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है।

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