पीयूष चिलवाल । Navpravah.com
किसी जमाने में मां-बाप बच्चों से बोलते थे- “बेटा चोरी करना पाप है। चोरी नहीं करनी चाहिए।” “झूठ बोलना पाप है झूठ नहीं बोलना चाहिए” और भी पता नहीं कितने तरह के नैतिकता के पाठ पढ़ाया करते थे लेकिन आज कल ये नैतिकता के पाठ सिमटकर सिर्फ- “बेटा मोबाइल दिया है तो ब्लू व्हेल मत डाउनलोड कर लेना“ पर आकर सिमट गया है।
कई बच्चों की जान ले चुका गेम ब्लू व्हेल दुनिया भर में दहशत का माहौल बनाता जा रहा है और अब इसका शिकार भारत भी बन चुका है। जहां मुबंई में एक छात्र ने इस गेम को पूरा करने के चक्कर में घर की छत से कूदकर अपनी जान दे दी तो वहीं। गुरुवार के दिन मध्य प्रदेश के इंदौर में भी एक बच्चे ने कुछ ऐसी ही कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की है।
13 साल के कक्षा सात में पढ़ने वाले बच्चे ने ब्लू व्हेल का चैलेंज पूरा करने के लिए अपने स्कूल की तीसरी मंजिल की रेलिंग पर चढ़कर कूदने लगा कि तभी उसके दोस्तों ने उसे देखते ही शोर मचा दिया और इसी दौरान वहां मौजूद स्पोर्ट्स एवं फिजिकल ट्रेनर ने उसे कूदने से रोक दिया। मामला पुलिस में पहुंचा तो पता चला बच्चा अपने पिता के फोन में ब्लू व्हेल गेम खेलता था फिलहाल पुलिस छात्र को काउंसलिंग के लिए किसी मनौवैज्ञानिक के पास ले जाने पर विचार कर रही है।
जानलेवा बन चुके इस गेम के विरोध में कई आवाजें उठी हैं लेकिन दिन बर दिन इसे डाउनलोड करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस बात से यह स्पष्ट होता है कि गेम के प्रति लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है। रूस से शुरू हुआ यह मौत का खेल अब दुनिया के कई हिस्सों में पहुंच चुका है और लगातार देश इसकी चपेट में आ रहे हैं। लगभग 50 दिन तक चलने वाले इस खेल में अब तक 100 से अधिक बच्चों की जान जा चुकी है।
ब्लू व्हेल से पहले पोकेमाॅन गो नाम का भी एक गेम आया था जिसकी वजह से काफी बच्चों की जान गयी थी हालांकि बाद में विरोध के चलते उसे भारत समेत कई देशों में बैन कर दिया गया था। कुछ ही इसी तरह का विरोध ब्लू व्हेल के लिए भी होने लगा है। भारत में कई राज्य सरकारें इस गेम का विरोध कर रही हैं तो सदन में भी ब्लू व्हेल का मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया गया है। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी एकदम से नोटबंदी का ऐलान कर देने वाली सरकार ने इस खेल को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया। क्या अभी भी कुछ और घटनाओं का इंतज़ार किया जा रहा है। फिलहाल ये गेम सरकार बैन करे ना करे आप प्रयास कीजिए की आपके या आपके आस-पास के बच्चे इस गेम को न खेलें। बच्चों के लिए थोड़ी सी सतर्कता जरूरी है वर्ना शाम को आप जब आॅफिस से घर आते हैं और बच्चों के मांगने पर बिना सोचे समझे उनके हाथ में मोबाइल थमा देते हैं वो आपके बच्चे के संग आपके लिए भी खतरनाक हो सकता है।
क्या मोबाइल फोन और कंप्यूटर पर खेले जाने वाले खेलों की कोई नियमावली नहीं होनी चाहिए़़? क्या सरकारों को इस तरह के खेलों पर त्वरित कार्यवाही नहीं करनि चाहिए? क्या इस तरह के गेम बनाने वाले निर्माताओं में इंसानियत का थोड़ा सा भी अंश नहीं होता? खेल के बारे में सुनने के बाद ऐसे कई सवाल मन में आए लेकिन जवाब फिर वही कोई सोचे न सोचे हमें खुद सोचना होगा और अपने बच्चों को इस तरह के जानलेवा खेलों से दूर रखना होगा।