न्यूज़ डेस्क | navpravah.com
राजस्थान में खाप पंचायतों को क़ानून का कोई डर नहीं है। पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो स्थानीय प्रशासन की असलियत को उजागर करता है। बाड़मेर में बलात्कार के एक मामले में राजीनामा नहीं करने पर कथित जातीय पंचों ने बलात्कार पीड़िता को समाज से बहिष्कृत तो किया ही, साथ ही उनपर पाँच लाख रुपए का आर्थिक दण्ड भी लगा दिया गया।
राजस्थान के बाड़मेर में बलात्कार पीड़िता को तुग़लक़ी फ़रमान सुनाने वाले पंचों की शिकायत के लिए पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई। एसपी ने आरोपी पंचों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह मामला बाड़मेर जिले के गुडमलानी थाना क्षेत्र का है। पुलिस अधीक्षक को पीड़िता ने बताया कि इसी वर्ष गत २२ जनवरी को वह अपने घर पर अकेली बैठी थी, तभी अणखिया निवासी दिनेश उर्फ देवाराम जाट घर में घुस आया और डरा धमका कर उसका बलात्कार किया।
बलात्कार करने के बाद में उसने धमकी भी दी कि अगर किसी को बताया तो जान से मार देगा। पीड़िता ने बताया कि आरोपी की धमकी के आगे उसने हिम्मत नहीं हारी और गुड़ामालानी थाने में रिपोर्ट देकर आरोपी के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया। मामले पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया।
हालाँकि, लगभग छह महीने में आरोपी की जमानत हो गई। पीड़िता ने कहा कि वह 8 जून को घर जा रही थी, उसी दौरान आरोपी दिनेश ने आकर उसके साथ मारपीट की और मामले में राजीनामा करने का दबाव बनाया। पीड़िता के परिवार ने राजीनामे से इनकार किया तो आरोपी ने जातीय पंचों का सहारा लेकर पीड़ित परिवार को समाज से बहिष्कृत करा दिया। जातीय पंचों ने पीड़ित परिवार का हुक्का-पानी बंदकर 5 लाख रुपए के आर्थिक दंड का फरमान सुना दिया। पीड़ित परिवार पर जातीय पंचों द्वारा लगातार राजीनामे का दबाव बनाया जा रहा है। राजीनामा नहीं करने पर जान से मारने की भी धमकियां दी जा रही है।