MP: व्यापारी के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप, पैसे ऐंठ चूरन दे रहा आयशर कम्पनी का डीलर

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Rewa bus news : रीवा | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क- रीवा में एक व्यापारी के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। राज्य की महत्वाकांक्षी ‘सूत्र सेवा योजना’ के अंतर्गत बसों की ख़रीदारी करने वाले संचालक को डीलर ने चूना लगा दिया।

डीलर ने संचालक से ७ बसों की धनराशि ले लिया, लेकिन डिलिवरी मात्र ४ बसों की हुई। कई महीने से परेशान संचालक ने शहर के एसपी से मुलाक़ात कर आयशर के डीलर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करा दिया है।

चोरहटा पुलिस ने आयशर कम्पनी के डीलर एवं सिंह एंटरप्राइज़ेज़ के प्रॉपराइटर मनोज सिंह के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। रमेश तिवारी के अनुसार, सूत्र सेवा योजना के अंतर्गत जब टेंडर हो गया तब ख़ुद मनोज सिंह उनके दफ़्तर आए थे। उन्होंने कहा कि हमारे पास सभी गाड़ियाँ तैयार हैं, जिसे हम तत्काल उपलब्ध करवा देंगे।

पुष्पराजनगर निवासी रमेश तिवारी ने कहा कि मनोज सिंह के कई बार दफ़्तर आने के बाद हमने बस का सौदा तय किया। डीलर मनोज के कहने पर हमने १३ जनवरी को १३ लाख रुपए की राशि अड्वान्स के तौर पर दी। कुछ दिन के बाद ही हमने दो बैंकों से फ़ाइनैन्स कराके लगभग १ करोड़ ७८ लाख रुपए डीलर के खाते में भेजे। हमारी बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि गाड़ियाँ तैयार हैं, लेकिन जब हम देखने गए तो पता चला कि मात्र ४ गाड़ियों की चेचिस उपलब्ध है।

उस समय मनोज सिंह ने कहा कि 30 मार्च तक आपको सभी गाड़ियों को कम्प्लीट कराकर दे देंगे। जबकि दूसरी तरफ लोन की किश्त चालू हो जाने से तनाव बढ़ता गया। मनोज के कहने पर 13 अप्रैल को तीसरी बार 17 लाख रुपए इंदौर में गाड़ी की बॉडी तैयार करने वाले को भी दिए। कुछ दिन बाद मनोज ने फोन उठाना बंद कर दिया। जब आयशर कंपनी से संपर्क किया गया तो चर्चा के बाद चौथी बार 55 लाख फिर जमा कराए।

5 ड्राइवरों को भेज दिया इंदौर
आरोप है कि मनोज सिंह ने दावा किया कि 5 ड्राइवरों को इंदौर भेज दीजिए। वहां पर गाड़ी तैयार है। ऐसे में ड्राइवरों को तैयार कर तय समय में इंदौर भेज दिया गया। जब वहां ड्राइवर पहुंचे तो गाड़िया नहीं मिली। ऐसे में चालक खाली हाथ इंदौर से रीवा वापस आ गए। इसके बाद एसपी से ​शिकायत की गई तो 21 जून 2021 को चार बसें मिली, लेकिन तीन बसों के लिए अब भी चक्कर लगा रहा हूं।

सूत्र सेवा के संचालक पीड़ित रमेश तिवारी को दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ वह बैंक का कर्जदार हो गया है। वहीं दूसरी तरफ हर माह किश्त की व्यवस्था करनी पड़ती है। उधर, सूत्र सेवा के तहत जो अन्य बसों का संचालन करना था, वह भी समय पर नहीं हो पाया है। ऐसे में शासनस्तर से समय पर सेवा न शुरू होने से लगातार पत्र आ रहे हैं।

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