Rakshabandhan 2021 : श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इस बार पूर्णिमा अगस्त माह की २२ तारीख़ को है।
ज्योतिषाचार्यों ने इस बार के रक्षाबंधन त्योहार को बहुत ही शुभ योग वाला बताया है। जानकारों के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन भद्रारहित काल में है। भद्रारहित काल में राखी बाँधने से कार्य सिद्धि और विजय प्राप्ति का योग बनता है।
इस दिन चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस बार भद्राकाल का भय भी नही रहेगा और ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा। इसके अलावा इस बार राखी के त्योहार पर वर्षों के बाद एक महासंयोग का निर्माण होने जा रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल 2021 में रक्षाबंधन का त्योहार राजयोग में मनाया जाएगा। राखी बांधते समय भद्राकाल का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि भद्राकाल में राखी बांधने पर अशुभ परिणाम की प्राप्ति होती है। हालांकि इस वर्ष राखी भद्रा रहित होगी यानी इस बार राखी का त्योहार पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस कारण से राखी पर पूरे दिन राखी बांधी जा सकती है।
राखी पर इस बार चंद्रमा कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे और गुरु कुंभ राशि में ही वक्री चाल में मौजूद है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष में गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना गया है। गजकेसरी योग पर शुभ कार्य करने पर उसमें विजय होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। गजकेसरी योग पर सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। इस योग में किए जाने वाले कार्यों का परिणाम अच्छे प्राप्त होते हैं। किसी जातक की कुंडली में जब चंद्रमा और गुरु केंद्र में विराजमान हो और एक दूसरे पर दृष्टि डालते हों तब गजकेसरी योग बनता है।
वहीं अगर रक्षा बंधन के दिन अन्य ग्रहों का संयोग देखा जाय तो रक्षाबंधन के दिन सूर्य, मंगल और बुध तीनों एक साथ सिंह राशि में मौजूद रहेंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन तीन ग्रहों का ऐसा संयोग 474 साल के बाद बन रहा है। 474 वर्षों बाद रक्षाबंधन धनिष्ठा नक्षत्र में और सूर्य,मंगल और बुध का सिंह राशि में होने पर मनाया जाएगा।
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