सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
राष्ट्रवादी कवि सुब्रमण्यम भारती की 96वीं जयंती की स्मृति में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर नायडू शामिल हुए, जहाँ उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की अनुयायी भगिनी निवेदिता ने लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था, प्रार्थना के गीत के तौर पर वंदे मातरम की शुरुआत कराकर उन्होंने छात्राओं में राष्ट्रवादी भावना का संचार करने की कोशिश की थी।
लेकिन अब कुछ लोगों को वंदे मातरम से भी समस्या है, वंदे मातरम क्या है माता वंदनम, अम्मा वणक्कम – यही है वंदे मातरम, नाडयू ने कहा कि वंदे मातरम गाने का मतलब अपनी मां का गुणगान करना है।
नायडू ने कहा कई सालों के बाद अब हम चर्चा कर रहे हैं कि वंदे मातरम अच्छा या है या नहीं, राष्ट्रवाद और देशभक्ति अच्छी है कि नहीं, हम इन सब चीजों के बारे में बात करने से भी हिचकते हैं। भारती को भावभानी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नायडू ने कहा कि सुधारवादी कवि चाहते थे कि भारतीय अपनी धरोहर पर गर्व करें।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि भगिनी निवेदिता की तरह भारती को भी वंदे मातरम ने प्रेरित किया था और उन्होंने राष्ट्र गीत की भावना का प्रसार किया था, नायडू ने कहा, हम देख रहे हैं कि स्वच्छ भारत में फिर से साफ-सफाई पर जोर है।
उन्होंने आगे कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर की तरह भारती भी चाहते थे कि संकीर्ण घरेलू दीवारें टूटे और जाति व्यवस्था खत्म हो, हम जाति, वर्ग, लिंग, क्षेत्र एवं धर्म से परे एक देश और एक लोग हैं, भारत एक है, कोई ऊंचा या नीचा नहीं है।