एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
करुणानिधि के बेटे एम.के. स्टालिन डीएमके के निर्विरोध अध्यक्ष बन गए हैं, ऐसे में स्टालिन के सामने चुनौती पेश करने वाले बड़े भाई एमके अलागिरी भी उनके साथ काम करने को तैयार हो गए हैं।
अलागिरी ने करुणानिधि के निधन के सिर्फ एक हफ्ते बाद ही स्टालिन को डीएमके का जिम्मा सौंपे जाने पर सवाल खड़े करते हुए मोर्चा खोल दिया था, करुणानिधि के समाधि स्थल मरीना बीच से उन्होंने कहा था कि डीएमके कार्यकर्ता उनके साथ हैं।
अलागिरी की चुनौती के बीच स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष बनने में सफल रहे हैं, अब अलगिरी की पार्टी में वापसी करना चाहते हैं, इतना ही नहीं वे स्टालिन के नेतृत्व में काम करने को भी तैयार हैं।
अभी तक डीएमके के इतिहास में स्टालिन पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने वाले दूसरे ही नेता हैं, जबकि इससे पहले करुणानिधि 49 साल तक पार्टी के अध्यक्ष रहे थे, करुणानिधि को अपने जीवन काल में ही उत्तराधिकारी स्टालिन और बेटे अलागिरी के बीच संघर्ष से रूबरू होना पड़ा था।
करुणानिधि के निधन के बाद अलागिरी ने स्टालिन के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी, अलागिरी ने 5 सितंबर को एक बड़ी रैली बुलाई है, लेकिन अब वे डीएमके में फिर से वापसी करना चाहते हैं।