कठुआ गैंग रेप: कचोटती हैं हैवान पुलिस अधिकारी की ये बातें

कठुआ
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कोमल झा | Navpravah.com

देश में बलात्कारों का जैसे सिलसिला चल पड़ा हो, हर तरफ वहसीपन का नंगा नाच सा दीख रहा है। शोर के बीच एक अजीब सी ख़ामोशी छाई है। कठुआ का वो मामला जी कचोटता है, जिसमें तमाम दरिन्दे हफ्ते भर तक, उस आठ साल की बच्ची से बलात्कार करते हैं।

आखिर में जब उस बच्ची का कत्ल करने जा रहे थे, तब एक पुलिस वाला उनसे कहता है कि कुछ देर और रुक जाओ मैं भी थोड़ा बहुत कुछ कर लूँ, फिर मार देना। दो महीने हो गए इस वारदात को, पर अब तक हम सब खामोश हैं। लेकिन अब हम और आप को अपनी चुप्पी तोड़नी होगी। जिससे आगे ऐसे वारदात होने से बाकी बच्चियां बच सकें।

उधर, यूपी में एक विधायक पर बलात्कार का इलज़ाम लगता है। शिकायत करने पर पीड़िता के पिता की थाने में ही हत्या की जाती  है। उस पीड़िता और उसके परिवार की चीख सब सुनते हैं, लेकिन फिर भी खामोश हैं। क्या कीजिए हम और आप तो वैसे भी हमेशा खामोश ही रहते हैं। बचे नेता और सरकार, तो उपवास के बहाने सब के सब मौन व्रत पर चले गए हैं।

सचमुच आज की राजनीति को उपवास की ही ज़रूरत है। उपवास होगा, तो खाली पेट बोल वचन कम ही निकलते हैं। हमारे नेता बहुत होशिय़ार हैं और सरकार डेढ़ होशियार। तभी तो उपवास के बहाने सबके सब मौन व्रत पर चले गए हैं।

गुस्सा नहीं हैरानी होती है, लोगों की उस सोच पर जो रूह को छलनी कर देन वाली सामूहिक बलात्कार जैसी वारदात में भी धर्म स्थल को ढूंढ लेते हैं। लोग कहते हैं कि उस बच्ची के गैंगरेप करने वालो को छोड़ दो, जिन्होंने कठुआ के एक मंदिर में अपनी हवस के शिकार बनाया। ऐसे लोगों को धर्म के नाम पर छोड़ भी दें, तो क्य़ा आप करीबी-रिश्तेदार अपने ही घर की किसी बच्ची को इनके साथ अकेला छोड़ने की हिम्मत करेंगे? इससे पहले कि आप जवाब दें ज़रूरी है कि उस बच्ची की कहानी एक बार ज़रूर सुन लीजिए। गौर करने वाली बात यह है कि यह कहानी नहीं है, बल्कि कठुआ की ज़िला अदालत में दर्ज चार्जशीट का हिस्सा है। यानी ये कानूनी दस्तावेज़ हैं।

एक नजर में घटनाक्रम-

4 जनवरी: साजिशकर्ता सांझी राम ने बकरवाल समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए खजुरिया और प्रवेश कुमार की योजना में शामिल होने के लिए अपने नाबालिग भतीजे को तैयार किया।

7 जनवरी: दीपक खजुरिया और उसका दोस्त विक्रम ने नशे की गोलियां खरीदीं। सांझी राम ने अपने भतीजे को कहा कि वह बच्ची का अपहरण कर ले।

8 जनवरी: नाबालिग ने अपने एक दोस्त को इस बारे में जानकारी दी।

9 जनवरी: नाबालिग ने भी कुछ नशीली दवाएं खरीदीं।

10 जनवरी: साजिश के तहत नाबालिग ने मासूम बच्ची को घोड़ा ढूंढने में मदद की बात कही, जिसके बाद वह उसे जंगल की तरफ ले गया। इसके बाद उसे नशीली दवाएं देकर उसे एक देवी स्थान के ले गए, जहां सभी ने कुकृत्य को अंजाम दिया।

11 जनवरी: नाबालिग ने अपने दोस्त विशाल को कहा कि अगर वह मजे लूटना जाता है, तो आ जाए। परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की। देवीस्थान भी गए, लेकिन वहां उन्हें सांझी राम ने झांसा दे दिया। दोपहर में दीपक खजुरिया और नाबालिग ने मासूम को फिर नशीली दवाएं दीं।

12 जवनरी: मासूम को फिर नशीली दवाएं देकर रेप। पुलिस की जांच शुरू। दीपक खजुरिया खुद जांच टीम में शामिल था जो संजी राम के घर पहुंचा। राम ने उसे रिश्वत की पेशकश की। हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज ने कहा कि वह सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को रिश्वत दे। तिलक राज ने 1.5 लाख रुपये रिश्वत दिए।

13 जनवरी: विशाल, सांझी राम और नाबालिग ने देवी स्थान पर पूजा-अर्चना भी की और उसके बाद लड़की के साथ रेप किया और उसे फिर नशीली दवाएं दे दीं। बच्ची को मारने के लिए वे एक पुलिया पर ले गए, जहाँ पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने कहा कि वह कुछ देर और रुक जाएं, क्योंकि वह पहले रेप करना चाहता है।  बलात्कार करने के बाद बच्ची को मार दिया जाता है।

15 जनवरी: आरोपियों ने मासूम के शरीर को जंगल में फेंक दिया।

17 जनवरी: जंगल से मासूम बच्ची का शव बरामद।

कठुआ और उन्नाव की घटना कल तक सिर्फ कठुआ और उन्नाव की घटना थी, लेकिन ये हर शहर और हर घर की घटना हो सकती है।

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