“परमेश्वर को प्रधान रखने वाले अद्भुत भक्त प्रमुख स्वामी जी महाराज” -साधु अमृतवदनदास जी

जो लोग जीवन में सफल होते हैं वे किसी व्यक्ति को रोल मॉडल मानकर आगे बढ़ते हैं.

कुछ लोग सिद्धांत का पालन करके लक्ष्य प्राप्त करते हैं. कुछ लोग सफलता मंत्र को ध्यान में रखकर सफल होते हैं।

इस समय दुनिया के सफल लोगों में स्पेस एक्स और टेस्ला कार के मालिक एलन मस्क का नाम सबसे आगे है। उनके रोल मॉडल कान्ये वेस्ट, सर्गेई कोरोलेव और रिचर्ड फेमैन हैं। तो टेनिस स्टार राफेल नडाल की सफलता का मंत्र है मेहनत करो, लोगों के साथ काम करो। रतन टाटा का एक सिद्धांत है कि हर व्यक्ति दुनिया में बदलाव ला सकता है।

इस तरह हर कोई किसी को अपने से आगे रखकर सफल होने की कोशिश करता है चाहे वह व्यक्ति हो या सिद्धांत या हो कोई सक्सेस मंत्र।

प्रमुखस्वामी महाराज एक बहुत ही सफल व्यावहारिक संत थे। उनका प्रबंधन करने का तरीका, काम करने का तरीका, काम करवाने का तरीका, किसी भी योजना को पूरी तरह सफल बनाने का तरीका वास्तव में अनोखा था। उनकी कार्यशैली दुनिया के सबसे सफल लोगों से भी ईर्ष्या करती थी। ऐसी थी उनकी सफलता। NDDB के अध्यक्ष और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और भारत की श्वेत क्रांति के जनक और रेमन मैग्सेसे सामुदायिक नेतृत्व डॉ. वर्गीस कुरियन साहिब ने न केवल गुजरात राज्य के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए बहुत काम किया। उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं। पूरी दुनिया ने उसे नोटिस किया है। समाज के कई लोग उन्हें अपना आदर्श मानते थे। इतने उच्च कोटि के सफल संगठनकर्ता डॉ. कुरियन साहब स्वामी जी से बहुत प्रभावित थे। स्वामी जी के प्रति उनके मन में गहरा आदर था। जब उन्हें स्वामी जी के कार्यों का अवलोकन मिला तो उन्होंने बड़े आदर के साथ कहा कि स्वामी जी की उपलब्धियों को देखकर मुझे अपनी उपलब्धियों के छोटी दिखाई पड़ती है।

स्वामीजी की अद्वितीय चमत्कारी उपलब्धियों का रहस्य क्या है? इसका रहस्य यह है कि वे ईश्वर को कभी नहीं भूलते। वे हमेशा भगवान की पूजा करते थे। वे भगवान को हमेशा आगे रखते हैं। दिल्ली में निर्माणाधीन अक्षरधाम परियोजना हो या रॉबिंसविल मंदिर (न्यू जर्सी) या हो भुज भूकंप के दौरान किए गए विश्व स्तरीय राहत कार्य, या नर्मदा बांध पर सफल राहत कार्य.. वह पहले भगवान स्वामीनारायण से प्रार्थना करेंगे और स्वयं इसमे जुड़ते और सभी को इसमें जुड़ने की प्रेरणा देते। सेवक और सेवक के रूप में गतिविधियाँ। संत भक्तों को इससे जोड़ते थे।

1988 में अटलांटा एक स्वामी जी सत्संग सभा में जाने के लिए कुछ जल्दी में थे। ऐसे में एक भक्तजन उनको मिलने आए। वे एक मोटल बनाने जा रहे थे। जहां पर मोटल बननेवाली थी उस जमीन की मिट्टी को एक कपड़े में बांधकर उसे स्वामी जी समक्ष लाया गया था। उनकी इच्छा थी कि जब स्वामीजी इस मिट्टी पर अपने पैर रखें, तो मिट्टी प्रसादीभूत हो जाएगी और फिर निर्माण कार्य शुरू करेंगे। उन्होंने कपड़ा फैलाया और मिट्टी फैलाकर प्रतीक्षा करने बैठ गए। स्वामीजी को उन्होंने मिट्टी पर कदम रखने का अनुरोध किया गया। तुरंत स्वामीजी ने ब्रह्मतीर्थ स्वामी से ठाकोरजी को लाने के लिए कहा। वे ठाकुरजी हरिकृष्ण महाराज को लेकर आए। लालजी के पास आए तो स्वामीजी बिना किसी का इंतजार किए बगैर और बिना किसी का समर्थन लिए जल्दी से बैठ गए। हरिकृष्ण ने प्यार से महाराज को गोद में लिया और धीरे-धीरे उन्हें मिट्टी पर ले गए। उन्होंने अपने कदम उठाए। बाद में चरनारविंद ने पृथ्वी को जमीन से स्पर्श कराया। घंटों मिट्टी में दबे रहे। फूल की पंखुड़ियां डालकर पूजा अर्चना की। धुन बनाई। उन्होंने मुमुक्षु को कार्य की सफलता के लिए आशीर्वाद दिया। वह भाई बहुत खुश हुआ। इस प्रकार यदि स्वामीजी किसी स्थान या भूमि की पूजा करना चाहते थे, तो वे निश्चित रूप से पहले ठाकोरजी की पूजा करेंगे।

स्वामी जी द्वारा निर्मित 1100 से अधिक मंदिरों, हरि मन्दिरों का कार्य इसी प्रकार प्रारम्भ किया गया। वे पूरा मंदिर भगवान को समर्पित करते थे। जब भी ठाकोरजी के आने का समय होता, वे चुपचाप उनका इंतजार करते थे। वे भगवान के जल्दी आए इसके लिए प्रभु नाम का जाप किया करते थे। यदि समय थोड़ा अधिक होता तो प्रार्थना या छोटे कीर्तन का गान भी करवाते थे । सभी को प्रभु मे जोड़ देते थे । उनके मन ठाकुर जी आए वहीं शुभ कार्य की शुभ शुरुआत । ठाकुरजी आएं तो लाभ । ठाकुर जी आए वही शुभ । वही श्रेष्ठ मुहूर्त और वही शगुन ।

जनवरी 2007 में स्वामीजी गोंडल विराजमान थे। मंदिर की परिक्रमा की और फिर स्वामीजी नवनिर्मित लिफ्ट में आए। यह लिफ्ट वृद्धि और बीमार भक्तों के लिए बनाई है. उन्होंने संतों से कहा कि यह नया है, तो आप प्रारंभ करें । तुरंत स्वामीजी ने कहा : ‘ठाकोरजी हरिकृष्ण महाराज कहाँ हैं?’ भक्त ज़न ने उनके कहने का अर्थ समझ गए और तर्क दिया, ‘ स्वामी जी ! आपके आने से पहले बहुत लोग बैठ चुके हैं।’ ‘फिर अगर हम जाएं तो पहले हरिकृष्ण महाराज को लेकर आएं।’ स्वामीजी दृढ़ रहे और आग्रह रखा तो संत कहते हैं, ‘हरिकृष्ण महाराज भोजन के लिए पधारे हैं।’ ‘भगवान कब गए?’ ‘अभी गए है ।’ संतों को उत्तर दिया। ‘तो कोई बात नहीं। जल्दी जाओ..उन्हें अभी यहाँ लाओ।’ संत दौड़े। स्वामीजी लिफ्ट में बहुत शांति से खड़े रहे। थाल अभी शुरू नहीं हुआ था, इसलिए संत हरिकृष्ण महाराज के साथ आए। ठाकोरजी के आते ही स्वामी जी ने पूजन किया और उसके बाद ही लिफ्ट को चालू किया और उसका उपयोग किया।

परमेश्वर को सभी कार्य मे आगे अर्थात्‌ प्रधान रखने से और काम करने और सफल होने की उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व शक्ति को कोई नहीं समझेगा।

इस लिंक पर क्लिक करें |  ये लेख आपको कैसा लगा हमें फेसबुक पेज पर जरुर बताएं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.