हरीश भारद्वाज | navpravah.com
नई दिल्ली | भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है सावन माह, जुलाई और अगस्त के बीच में आने वाला सावन माह बहुत ही पवित्र माना गया है। इसे भगवान शिव का माह भी कहा जाता है।
भगवान शिव मां पार्वती के साथ सावन माह में धरती पर विचरण करते हैं। श्रवण नक्षत्र की पूर्णिमा इस माह में आने के कारण इसे श्रावण अर्थात् सावन माह कहा जाता है।
पुराणों के अनुसार समुंद्र मंथन इसी सावन माह में हुआ था, जिसमें से निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए अपने कंठ में रोक लिया था, जिसके कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और शिव नीलकंठ कहलाए। इस माह में हिंदुओं के कई त्यौहार भी मनाए जाते हैं जैसे कि रक्षा बंधन, तीज़ और नाग पंचमी इत्यादि। कांवड़ यात्रा भी इसी माह में होती है, जिसमें लाखों शिव भक्त हरिद्वार और गौमुख से भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए पवित्र गंगाजल लेकर आते हैं।
इस बार श्रावण मास में हैं कई दुर्लभ संयोग-
सावन माह में आने वाली शिवरात्रि इस माह का सबसे पवित्र दिन माना जाता है और इसी दिन अधिकांश शिव भक्त कांवड़िए गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस माह में आने वाले सोमवार के दिन श्रद्धालुओं में उपवास करने की परम्परा है। सावन माह में कभी चार तो कभी पांच सोमवार आते हैं। इस वर्ष सावन माह में पांच सोमवार हैं और संयोगवश 22 जुलाई 2024 को सावन माह आरम्भ हो रहा है जोकि सोमवार का दिन है और 19 अगस्त 2024 को रक्षा बंधन वाले दिन सावन माह की समाप्ति होगी वह भी सोमवार का ही दिन है।